आयोग को नहीं मिल रहे 2.62 करोड़ गणना प्रपत्र

नवभारत टाइम्स
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उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग को लगभग 2.62 करोड़ गणना प्रपत्र नहीं मिले हैं। इन्हें 'अनकलेक्टेबल' मानकर इनकी तलाश की जा रही है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील की है। डिजिटाइजेशन का काम लगभग पूरा हो गया है। प्रवासी मतदाताओं के लिए फॉर्म 6ए का उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं।

262 crore enumeration forms missing election commissions concern grows search for voters begins
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग को करीब 17.7% गणना प्रपत्र नहीं मिल पा रहे हैं, जिन्हें 'अनकलेक्टेबल' वोटर मानकर उनकी तलाश शुरू कर दी गई है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) नवदीप रणवा ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे अपने बूथ लेवल एजेंट (BLA) के माध्यम से इन मतदाताओं के सत्यापन में मदद करें। प्रदेश में कुल 15.44 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से लगभग 2.62 करोड़ मतदाता 'अनकलेक्टेबल' श्रेणी में आ सकते हैं। CEO ने सोमवार को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रगति की जानकारी दी और उनका फीडबैक भी लिया। उन्होंने बताया कि मतदाताओं के डेटा को डिजिटल करने का काम 97.3% तक पूरा हो चुका है, लेकिन अभी भी 30% मतदाताओं की मैपिंग बाकी है। उन्होंने मृत, शिफ्ट हुए और अनुपस्थित मतदाताओं के सत्यापन में भी राजनीतिक दलों से सहयोग मांगा है।

CEO ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन बूथों पर बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) ने अपना काम पूरा कर लिया है, वे अपने बूथ के 'अनकलेक्टेबल' मतदाताओं की सूची बीएलए को देंगे। इसके अलावा, जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर भी विधानसभा और बूथ के हिसाब से यह सूची उपलब्ध होगी। सभी बीएलओ को 12 दिसंबर तक अपने बीएलए के साथ बैठक करने के निर्देश दिए गए हैं।
एक महत्वपूर्ण निर्देश में, CEO ने कहा कि प्रवासी भारतीय नागरिक जो रोजगार, शिक्षा या व्यापार के कारण विदेश में रहते हैं, वे गणना प्रपत्र की जगह फॉर्म 6ए भरकर मतदाता बन सकते हैं। इसलिए, किसी भी प्रदेश के नागरिक को किसी प्रवासी नागरिक का गणना प्रपत्र भरकर जमा नहीं करना चाहिए। यदि गलती से ऐसा हो गया है, तो तुरंत अपने बीएलओ को सूचित करें, अन्यथा बाद में पकड़े जाने पर कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान में प्रदेश में 1533 प्रवासी मतदाता हैं और 115 व्यक्तियों के फॉर्म 6ए प्राप्त हुए हैं।

चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में SIR की निगरानी के लिए चार अधिकारियों को विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। ये अधिकारी अपने-अपने मंडलों में SIR की प्रगति पर नजर रखेंगे। निखिल गजराज को सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद और अलीगढ़ मंडल का पर्यवेक्षक बनाया गया है। जावड़ी वी नागा सुब्रमण्यम लखनऊ, कानपुर, आगरा, बरेली, झांसी, चित्रकूट और प्रयागराज मंडलों की देखरेख करेंगे। कुणाल देवीपाटन, बस्ती, अयोध्या और वाराणसी मंडलों के लिए नियुक्त किए गए हैं, जबकि सिद्धार्थ जैन आजमगढ़, गोरखपुर और मिर्जापुर मंडलों के पर्यवेक्षक होंगे।

यह पूरी कवायद मतदाताओं की सूची को सटीक और अद्यतन बनाने के लिए की जा रही है। 'अनकलेक्टेबल' वोटर वे हैं जिनके गणना प्रपत्र या तो प्राप्त नहीं हुए हैं या उनमें कोई समस्या है। ऐसे मतदाताओं की पहचान कर उन्हें सूची में शामिल करने या हटाने की प्रक्रिया चल रही है। राजनीतिक दलों का सहयोग इस प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मतदाताओं की मैपिंग का काम भी तेजी से चल रहा है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर मतदाता का डेटा सही हो।

प्रवासी मतदाताओं के लिए फॉर्म 6ए की व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि वे विदेश में रहते हुए भी अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। गणना प्रपत्र का गलत इस्तेमाल न हो, इसके लिए यह स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं। चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि मतदाता सूची में केवल योग्य और वास्तविक मतदाताओं के नाम ही शामिल हों। इन विशेष पर्यवेक्षकों की नियुक्ति से SIR प्रक्रिया की निगरानी और सुचारू संचालन में मदद मिलेगी। यह कदम उत्तर प्रदेश में आगामी चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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