दो माह बाद भी कफ सिरप के 21 सैंपलों की नहीं आई रिपोर्ट

नवभारत टाइम्स
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गौतमबुद्ध नगर में कफ सिरप के 23 सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। दो महीने बीतने के बाद भी 21 सैंपलों की रिपोर्ट नहीं आई है। केवल दो सैंपलों में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है। यह देरी व्यवस्था पर सवाल उठा रही है। विभाग अन्य रिपोर्टों का इंतजार कर रहा है।

delay in cough syrup report investigation of 21 samples stuck questions on system
मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में बरती गई सतर्कता की पोल अब जांच रिपोर्ट आने में हो रही देरी खोल रही है। गौतमबुद्ध नगर औषधि विभाग ने अक्टूबर में कई ब्रांडों के 23 कफ सिरप के सैंपल जांच के लिए लखनऊ लैब भेजे थे, लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी सिर्फ दो सैंपल की रिपोर्ट आई है, जबकि 21 सैंपल की रिपोर्ट अभी भी अटकी हुई है। यह देरी व्यवस्था पर सवाल उठा रही है, क्योंकि आमतौर पर 15 से 20 दिनों में रिपोर्ट आ जाती है।

जिला औषधि अधिकारी जय सिंह ने बताया कि जिन दो सैंपल की रिपोर्ट आई है, उनमें कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है। बाकी 21 सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। विभाग ने मेडिकल स्टोरों के साथ-साथ नोएडा और सूरजपुर की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स से भी कच्चे माल के नमूने लिए थे। इस संवेदनशील मामले में रिपोर्ट आने में हो रही देरी ने विभागीय गंभीरता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब हम सोचते हैं कि मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत की खबर ने पूरे देश को हिला दिया था। इसी के चलते उत्तर प्रदेश में भी एहतियात के तौर पर कफ सिरप की जांच शुरू की गई थी। लेकिन जांच की गति इतनी धीमी है कि दो महीने बाद भी अधिकांश सैंपल की रिपोर्ट नहीं आई है।

आम तौर पर, लैब से रिपोर्ट 15 से 20 दिनों में आ जानी चाहिए। लेकिन इस मामले में हो रही अत्यधिक देरी यह बताती है कि कहीं न कहीं व्यवस्था में कमी है। यह देरी न केवल विभागीय गंभीरता पर सवाल उठाती है, बल्कि आम जनता के मन में भी शंका पैदा करती है।

विभाग ने सिर्फ मेडिकल स्टोरों से ही नहीं, बल्कि नोएडा और सूरजपुर में स्थित दवा बनाने वाली फैक्ट्रियों से भी कच्चे माल के नमूने लिए थे। यह कदम इसलिए उठाया गया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल भी सुरक्षित है। लेकिन जब जांच रिपोर्ट ही देर से आएगी, तो इस पूरी प्रक्रिया का क्या मतलब रह जाएगा?

यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बाकी 21 सैंपल की रिपोर्ट कब तक आती है और उनमें क्या पाया जाता है। उम्मीद है कि विभाग इस मामले को गंभीरता से लेगा और भविष्य में ऐसी देरी से बचने के लिए कदम उठाएगा।

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