बांद्रा पूर्व मेंं स्काइवॉक के निर्माण कार्य में देरी को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीएमसी को लगाई कड़ी फटकार। कोर्ट ने कहा कि बीएमसी नागरिकों की परवाह नहीं करती है। बांद्रा इलाके में वाहनों की भीड़ के चलते कोर्ट में यह याचिका दायर की गई है।
मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने बांद्रा पूर्व मेंं स्काइवॉक के निर्माण कार्य में देरी को लेकर बीएमसी को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसा लगता है, जैसे बीएमसी नागरिकों की परवाह नहीं करती है। अब तक इस मामले में काम में सुस्ती दिखाने वाले ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई है? बांद्रा इलाके में वाहनों की भीड़ के चलते पैदल चलानेवाले लोगों को हो रही दिक्कतों को देखते हुए कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
कोर्ट ने बीएमसी से पूछे कड़े सवाल
सुनवाई के दौरान जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच ने बीएमसी से पूछा कि आपके आश्वसन के बावजूद इस स्काइवॉक का निर्माण अभी तक अधूरा क्यों है? अदालत से किए गए वादे की अनदेखी कैसे की जा सकती है? क्यों न इस मामले मामले में बीएमसी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। बेंच के निर्देश के तहत बीएमसी अधिकारी का नाम दिया गया। बेंच ने कहा कि हमें रिटायर नहीं, मौजूदा अधिकारी का नाम दिया जाए। यदि इस मामले को हल्के में लिया गया तो हम कमिश्नर को मामले की जांच करने का निर्देश देने पर विचार करेंगे।
स्काइवॉक को गिरा दिया गया था
याचिका में मुख्य रूप से बांद्रा स्टेशन से म्हाडा कार्यालय की ओर जाने वाली सड़क तक स्काइवॉक का शीघ्रता से पुननिर्माण करने का निर्देश देने की मांग की गई है। गौरतलब है कि लोगों को भीड़भाड़ से बचाने के लिए एमएमआरडीए ने साल 2008-2009 में इसे बनाया था। बाद में इसे बीएमसी को ट्रांसफर कर दिया गया था। साल 2019 में असुरक्षित होने के आधार पर स्काइवॉक को गिरा दिया गया था।
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