कृषि विज्ञान केंद्र ने आक्रमणकारी मिट्टी में गेहूं की उन्नत तकनीक पर कार्यक्रम आयोजित किया

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कानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों के लिए एक दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें क्षारीय मिट्टी में गेहूं की उन्नत खेती की जानकारी दी गई। किसानों को जैविक खाद और लाइन सोइंग जैसी तकनीकों के फायदे बताए गए। उन्नत गेहूं की किस्मों के बीज भी बांटे गए। इस कार्यक्रम से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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कानपुर: शनिवार को चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर ने NICRA (National Innovations in Climate Resistant Agriculture) योजना के तहत एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में किसानों को क्षारीय मिट्टी में उन्नत गेहूं उत्पादन की तकनीकों के बारे में जानकारी दी गई।

वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने किसानों को गेहूं की उन्नत खेती के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने और जैविक खेती पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। कृषि विज्ञान केंद्र, औरैया के प्रभारी डॉ. राम पालट ने किसानों को उन्नत तकनीक से गेहूं की बुवाई के फायदों के बारे में बताया। केंद्र प्रभारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने सभी किसानों से अपने खेतों में लाइन सोइंग (कतारों में बुवाई) सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
इस कार्यक्रम में औरंगाबाद और सहटावांनपुरवा गांवों के किसानों ने भाग लिया। सभी किसानों को क्षारीय मिट्टी के लिए उपयुक्त उन्नत गेहूं की किस्मों KRL 210 और KRL 283 के प्रदर्शन बीज दिए गए। डॉ. अरुण कुमार सिंह ने इस कार्यक्रम का संचालन किया। किसानों को बताया गया कि KRL 210 और KRL 283 जैसी उन्नत किस्मों की बुवाई से उत्पादकता बढ़ेगी। साथ ही, यह गेहूं बहुत अच्छी गुणवत्ता का है और स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है, इसलिए इसकी मांग काफी बढ़ गई है।

किसानों को यह भी समझाया गया कि रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल करने से मिट्टी की सेहत सुधरती है और फसल भी अच्छी होती है। लाइन सोइंग से पौधों को पर्याप्त धूप और हवा मिलती है, जिससे वे बेहतर तरीके से बढ़ते हैं। उन्नत किस्मों के बीज मिलने से किसान खुश थे और उन्होंने इन तकनीकों को अपनाने का वादा किया। यह कार्यक्रम किसानों को आधुनिक कृषि पद्धतियों से जोड़ने और उनकी आय बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।