अनुपम खेर और महेश भट्ट की मुंबई एयरपोर्ट पर विशेष मुलाकात: दोस्ती और प्रेरणा

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अनुपम खेर और महेश भट्ट मुंबई एयरपोर्ट पर मिले। खेर ने भट्ट को अपनी ताकत का स्रोत बताया। उन्होंने भट्ट को अपना मेंटर और दोस्त कहा। खेर ने क्षेत्रीय फिल्मों के पैन-इंडिया बनने की बात कही। उन्होंने बताया कि ये फिल्में अब दुनिया भर में स्वीकार्यता चाहती हैं। खेर ने कहा कि कोविड-19 ने नई तरह की फिल्में दिखाईं।

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Veteran actor Anupam Kher ने मुंबई एयरपोर्ट पर फिल्ममेकर महेश भट्ट से मुलाकात की। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें दोनों मुस्कुराते हुए कैमरे के सामने पोज दे रहे थे। Kher ने भट्ट को अपनी ताकत का एक बड़ा स्रोत बताया और हमेशा उनके साथ खड़े रहने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने लिखा, "अगर आप नहीं देख सकते कि आप कहाँ जा रहे हैं, तो किसी ऐसे व्यक्ति से पूछें जो पहले वहाँ जा चुका हो।" उन्होंने भट्ट को अपना मेंटर और दोस्त बताया। यह मुलाकात इसलिए भी खास है क्योंकि Kher और भट्ट ने 1984 में आई फिल्म "सारांश" में साथ काम किया था, जो Kher की डेब्यू फिल्म थी। इस फिल्म में उन्होंने एक दुखी पिता का किरदार निभाया था और खूब तारीफें बटोरी थीं।

Kher अक्सर फिल्ममेकिंग और इंडस्ट्री पर अपनी राय देते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने IANS को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे क्षेत्रीय फिल्में बॉलीवुड द्वारा अनदेखी की गई भारतीय कहानियों को फिर से जीवित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अब क्षेत्रीय सिनेमा सिर्फ 'क्षेत्रीय' नहीं रहा, बल्कि यह 'पैन-इंडिया' सिनेमा बन गया है। Kher ने बताया कि उन्होंने लगभग सभी भारतीय भाषाओं में काम किया है, सिवाय एक-दो के। उन्होंने कहा कि ये फिल्में ज्यादा व्यवस्थित हैं क्योंकि वे दुनिया भर में स्वीकार्यता चाहती हैं। Kher के अनुसार, COVID-19 महामारी ने हमें ऐसी फिल्में दिखाईं जिन्हें हम पहले नहीं देखते थे, जैसे मलयालम, तेलुगु, तमिल और बंगाली सिनेमा।
Kher ने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्रीय सिनेमा अब सिर्फ अपने क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह पूरे देश में अपनी पहचान बना रहा है। उन्होंने कहा कि COVID-19 ने लोगों को नई तरह की फिल्में देखने का मौका दिया। इससे पहले लोग शायद इन भाषाओं की फिल्मों को उतना महत्व नहीं देते थे। Kher ने खुद कई भाषाओं में काम करके इस बात को साबित किया है कि कला की कोई सीमा नहीं होती।

महेश भट्ट के साथ अपनी मुलाकात पर Kher ने जो बातें कहीं, वे उनके गहरे रिश्ते को दर्शाती हैं। उन्होंने भट्ट को सिर्फ एक निर्देशक नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और दोस्त माना है। "सारांश" फिल्म उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, और इसमें भट्ट का योगदान बहुत बड़ा था। Kher ने यह भी बताया कि भट्ट ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया है, चाहे वह ऑन-स्क्रीन हो या ऑफ-स्क्रीन।

Kher का यह बयान कि क्षेत्रीय फिल्में अब पैन-इंडिया बन गई हैं, इंडस्ट्री में एक बड़े बदलाव का संकेत है। यह दिखाता है कि अच्छी कहानियों को किसी विशेष भाषा या क्षेत्र की सीमाएं नहीं रोक सकतीं। Kher का यह अनुभव कि उन्होंने लगभग सभी भाषाओं में काम किया है, उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि ये क्षेत्रीय फिल्में अब ज्यादा व्यवस्थित हैं और दुनिया भर में पहचान बनाने की चाह रखती हैं। यह एक सकारात्मक संकेत है कि भारतीय सिनेमा अपनी जड़ों से जुड़कर भी वैश्विक स्तर पर अपनी जगह बना रहा है।