केरल उच्च न्यायालय ने 'पाणाचेरी गजेंद्रन' हाथी को बेहतर चिकित्सा उपचार प्रदान करने के निर्देश दिए

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केरल हाई कोर्ट ने 'पाणाचेरी गजेंद्रन' नामक घायल हाथी की जान बचाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने वन विभाग को हाथी की पूरी देखभाल और सर्वोत्तम इलाज मुहैया कराने का निर्देश दिया है। यह फैसला एक याचिका पर आया है। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने वन विभाग को हाथी की जिम्मेदारी लेने को कहा है।

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केरल हाई कोर्ट ने 'पंचांचेरी गजेंद्रन' नाम के एक हाथी की जान बचाने का आदेश दिया है। यह हाथी गंभीर रूप से घायल है और उसके शरीर पर कई घाव और चोटें हैं। कोर्ट ने वन विभाग को निर्देश दिया है कि वे इस हाथी की पूरी देखभाल करें और उसे सबसे अच्छा इलाज मुहैया कराएं। यह फैसला एक याचिका पर आया है, जिसे पुथुर, त्रिशूर के राधाकृष्णन ने दायर किया था। उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि हाथी को सही इलाज मिले।

कोर्ट के पहले के आदेश के बाद, एक वन पशु चिकित्सक और केरल पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, मन्नुथी के एक वरिष्ठ पशु चिकित्सक ने हाथी की जांच की। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हाथी को बचाने के लिए उसे सहारा देने वाला इलाज जारी रखना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, हाथी अपने दाहिने अगले पैर और सूंड को हिला पा रहा था, लेकिन कान नहीं फड़फड़ा पा रहा था। उसके बाएं पिछले पैर में कोई हरकत नहीं थी और शरीर के बाईं ओर की जांच नहीं हो सकी क्योंकि हाथी जमीन पर लेटा हुआ था।
इन नतीजों को देखते हुए, कोर्ट की बेंच ने वन विभाग को हाथी की जिम्मेदारी लेने और यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि उसे पर्याप्त चिकित्सा देखभाल मिले। कोर्ट ने साफ कहा है कि हाथी की जान बचाना सबसे जरूरी है। वन विभाग को अब इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी होगी।

यह मामला दिखाता है कि कैसे कोर्ट जानवरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। 'पंचांचेरी गजेंद्रन' जैसे बेजुबान जानवरों को भी न्याय मिल सकता है। वन विभाग को अब इस आदेश का पालन करना होगा और हाथी को जल्द से जल्द बेहतर इलाज देना होगा।