Rti Commissions Stern Warning To Nabha Panchayat Department Legal Action Threatened For Non disclosure Of Information
नभा पंचायत विभाग को RTI आयोग की सख्त चेतावनी, जानकारी ना देने पर उठने लगे हैं कानूनी कदम
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आर.टी.आई. आयोग ने नभा पंचायत विभाग को सूचना के अधिकार का पालन न करने पर कड़ी फटकार लगाई है। बार-बार आवेदनों को नजरअंदाज करने पर विभाग के अधिकारियों को शो-कॉज नोटिस जारी किए गए हैं। आयोग ने बेल वारंट जारी करने की चेतावनी भी दी है। शिकायतकर्ताओं को एक साल से अधिक समय से जानकारी नहीं मिल रही है।
पटियाला: सूचना के अधिकार (RTI) कानून का पालन न करने पर RTI कमीशन ने नभा पंचायत विभाग को कड़ी फटकार लगाई है। विभाग ने बार-बार RTI आवेदनों को नजरअंदाज किया, जिसके चलते कम से कम पांच मामलों में शो-कॉज नोटिस जारी किए गए हैं। कमीशन ने विभाग के पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर (BDPO) के खिलाफ बेल वारंट जारी करने की चेतावनी भी दी है।
कमीशन ने विभाग के अधिकारियों को जानकारी न देने पर शो-कॉज नोटिस जारी किए हैं। तीन कमिश्नरों ने BDPO के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है। साल 2024 के केस नंबर '1003' में तो कमीशन ने यहां तक कह दिया कि अगर जानकारी नहीं दी गई तो अधिकारी के खिलाफ बेल वारंट जारी कर दिया जाएगा। इसी तरह, केस नंबर '345' में कमीशन ने सूचना अधिकारी के रवैये को RTI एक्ट की भावना के खिलाफ बताया। कमीशन ने BDPO बलजीत कौर को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर सफाई देने का आखिरी मौका दिया, वरना कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।शिकायतकर्ता गुरप्रीत सिंह ने बताया कि पंचायत चुनाव से पहले उन्होंने सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक द्वारा नई पंचायतों को रिकॉर्ड सौंपते समय प्राप्त NOC की कॉपी मांगी थी। लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं दी गई। अन्य शिकायतकर्ताओं, गुरमीत सिंह और कुलविंदर कौर ने कहा कि कुछ ऐसी बुनियादी पंचायत रिकॉर्ड भी थे जो RTI आवेदन के बिना भी जनता को मिलने चाहिए थे, लेकिन उन्हें भी नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ आवेदन एक साल से और कुछ दो साल से लंबित थे, जिसके कारण उन्हें चंडीगढ़ तक का सफर करना पड़ा।
पिछले साल भी कमीशन ने नभा पंचायत विभाग के एक अधिकारी पर जानकारी न देने पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। नभा की BDPO बलजीत कौर ने कहा कि उन्होंने पंचायत सचिव और अतिरिक्त पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर को जानकारी उपलब्ध कराने के सख्त निर्देश दिए हैं।
यह मामला दिखाता है कि कैसे सरकारी विभागों में RTI कानून का पालन करने में लापरवाही बरती जा रही है। लोग जानकारी मांगने के लिए परेशान हो रहे हैं, जबकि अधिकारियों को जवाबदेही तय करने में दिक्कत आ रही है। RTI कानून का मकसद सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाना है, लेकिन ऐसे मामले इस उद्देश्य को कमजोर करते हैं। उम्मीद है कि कमीशन की सख्ती से विभाग अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाएगा और लोगों को समय पर जानकारी मिलेगी।
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