डॉ. पाल ने समझाया कि थायरॉइड को ठीक से काम करने के लिए कुछ खास पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जिसमें सबसे पहला है आयोडीन। समुद्री शैवाल (seaweed), आयोडीन युक्त नमक (iodised salt), डेयरी प्रोडक्ट्स और अंडे जैसे खाने से शरीर को थायरॉइड हार्मोन T3 और T4 बनाने के लिए जरूरी चीजें मिलती हैं। अगर आयोडीन की कमी हो जाती है, तो थायरॉइड ग्रंथि धीमी हो जाती है और इसका असर मेटाबॉलिज्म और मूड पर दिखने लगता है।इसके बाद उन्होंने सेलेनियम से भरपूर खाने की अहमियत बताई, जैसे ब्राजील नट्स (Brazil nuts), सूरजमुखी के बीज (sunflower seeds) और मछली। सेलेनियम T4 को एक्टिव हार्मोन T3 में बदलने में मदद करता है और सूजन को भी शांत करता है। सिर्फ एक या दो ब्राजील नट्स खाने से ही आपकी रोज की सेलेनियम की जरूरत पूरी हो सकती है, जो थायरॉइड को ठीक रखने का एक बहुत आसान तरीका है।
डॉ. पाल ने जिंक (Zinc) पर भी जोर दिया। कद्दू के बीज (pumpkin seeds), दालें, छोले और समुद्री भोजन में जिंक पाया जाता है। यह हार्मोन बनाने में मदद करता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। जिंक की कमी होने पर अक्सर थायरॉइड का आउटपुट कम हो जाता है और लगातार थकान बनी रहती है। इसलिए इसे अपनी डाइट में शामिल करना बहुत फायदेमंद हो सकता है।
हार्मोन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाने के लिए डॉ. पाल ने ओमेगा-3 (Omega-3) से भरपूर खाने की सलाह दी, जैसे सैल्मन (salmon), सार्डिन (sardines), चिया सीड्स (chia seeds) और अखरोट (walnuts)। ये सूजन को कम करते हैं, जिससे शरीर थायरॉइड हार्मोन पर बेहतर प्रतिक्रिया करता है। एंटी-इंफ्लेमेटरी यानी सूजन कम करने वाला खाना खाने से मेटाबॉलिज्म भी ज्यादा स्टेबल रहता है।
उन्होंने एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant) से भरपूर खाने जैसे जामुन (berries), हरी पत्तेदार सब्जियां और रंगीन सब्जियों को भी शामिल करने को कहा। ये ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं, जो थायरॉइड की समस्या का एक बड़ा कारण है। डॉ. पाल का कहना है कि प्लेट में जितना ज्यादा नेचुरल रंग होगा, थायरॉइड ग्रंथि उतना ही बेहतर काम करेगी।
खाने के साथ-साथ डॉ. पाल ने कुछ चीजों से परहेज करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि सोया (soy) का ज्यादा सेवन, बहुत ज्यादा कच्ची क्रूसिफेरस सब्जियां (raw cruciferous vegetables) जैसे गोभी, ब्रोकोली, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स (ultra-processed foods) और कम नमक वाले डाइट जिनमें आयोडीन बिल्कुल न हो, उनसे बचना चाहिए। उनका जोर संतुलन पर था, डर पर नहीं, क्योंकि किसी चीज को पूरी तरह से छोड़ देने से ज्यादा आसान है उसका कम मात्रा में सेवन करना।
उन्होंने कहा, "His emphasis was on balance, not fear, because moderation is often more sustainable than strict elimination." यानी, "उनका जोर संतुलन पर था, डर पर नहीं, क्योंकि संयम अक्सर सख्त परहेज से ज्यादा टिकाऊ होता है।" तो अगली बार जब आपको थकान या मूड स्विंग महसूस हो, तो अपनी डाइट पर ध्यान दें, क्योंकि सही खाना आपकी थायरॉइड को खुश रख सकता है!

