App based Ganja Delivery Kingpin And 3 Arrested 20 Lakhs Worth Of Goods Recovered
ऐप से करते थे गांजा की डिलिवरी, सरगना समेत तीन किए गिरफ्तार
नवभारत टाइम्स•
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नोएडा पुलिस ने ऐप के जरिए गांजा तस्करी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। सरगना योगेंद्र प्रताप सिंह समेत तीन तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से करीब 20 लाख रुपये का 10 किलो से अधिक गांजा बरामद हुआ है। यह गिरोह ओजी, मैंगो और शिलांग जैसी उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों की तस्करी करता था।
नोएडा पुलिस ने ऐप के जरिए गांजा तस्करी करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। शनिवार को पुलिस ने इस गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास से 10 किलो 100 ग्राम गांजा बरामद हुआ है, जिसकी कीमत करीब 20 लाख रुपये बताई जा रही है। इस गिरोह का सरगना योगेंद्र प्रताप सिंह पहले भी एनडीपीएस एक्ट के तहत जेल जा चुका है और पिछले पांच सालों से इस धंधे में लाखों कमा चुका है। पुलिस ने इस कार्रवाई में गिरोह के पूरे सिंडिकेट को तोड़ने का दावा किया है।
यह बड़ी कार्रवाई सेक्टर-113 थाने की पुलिस ने की है। डीसीपी यमुना प्रसाद ने बताया कि एसीपी थर्ड ट्विंकल जैन को गुप्त सूचना मिली थी कि शहर के कई इलाकों में ऐप के जरिए गांजे की सप्लाई हो रही है। इस सूचना पर अडिशनल डीसीपी शैव्या गोयल के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई। टीम ने खुद गांजा मंगवाकर तस्करों को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई। शनिवार को जब गिरोह के बदमाश गांजे की डिलीवरी देने पहुंचे, तो पुलिस टीम ने उन्हें दबोच लिया। पकड़े गए तस्करों की पहचान योगेंद्र प्रताप सिंह (कन्नौज), सूरज उर्फ रुद्र (बिहार) और शिवकेश (हरदोई) के रूप में हुई है। ये तीनों नोएडा में किराए के मकान में रह रहे थे।गिरफ्तार किए गए आरोपियों के पास से जो गांजा बरामद हुआ है, वह ओजी, मैंगो और शिलांग किस्म का है। यह गांजा बहुत उच्च गुणवत्ता वाला होता है और इसकी कीमत आम गांजे से पांच गुना ज्यादा होती है। पुलिस के मुताबिक, गिरोह का सरगना योगेंद्र प्रताप सिंह इस गांजे को ओडिशा, आंध्र प्रदेश, नेपाल और शिलांग जैसे इलाकों से मंगवाता था। सरगना योगेंद्र पहले भी एनडीपीएस एक्ट के तहत जेल जा चुका है और करीब पांच सालों से गांजे की तस्करी कर रहा है। इस दौरान उसने लाखों रुपये कमाए हैं। पुलिस को पूछताछ में गिरोह के कुछ अन्य सदस्यों के बारे में भी जानकारी मिली है, जिनकी गिरफ्तारी के लिए एक अलग टीम गठित की गई है।
अडिशनल डीसीपी शैव्या गोयल ने बताया कि यह गिरोह ऐप का इस्तेमाल करके ग्राहकों से संपर्क करता था। ग्राहक ऐप के जरिए अपनी लोकेशन और ऑर्डर बताते थे, जिसके बदले में वे ऑनलाइन पेमेंट करते थे। सरगना योगेंद्र गांजे की पैकिंग करवाता था और फिर उसे तय लोकेशन पर डिलीवर करवा देता था। खास बात यह थी कि सरगना यह सुनिश्चित करता था कि डिलीवरी के दौरान अगर कोई पकड़ा जाए तो वह कैब चालक हो, न कि उसके गिरोह का कोई सदस्य। इस तरह, कैब चालक को पता भी नहीं चलता था कि वह गांजा डिलीवर कर रहा है। सरगना पूरे दिल्ली-एनसीआर में गांजे की सप्लाई करता था।
गिरोह के बदमाश गांजे की पैकिंग के लिए नामी कंपनियों की कवर पैकिंग पॉलिथीन का इस्तेमाल करते थे। किसी को शक न हो, इसके लिए वे पैकिंग पर फर्जी ऑर्डर की रसीद भी लगा देते थे। गिरोह के सरगना योगेंद्र ने 12वीं तक पढ़ाई की है, जबकि सूरज 10वीं पास है। शिवकेश ने आईटीआई का कोर्स किया है। पुलिस को यह भी पता चला है कि शिवकेश, योगेंद्र के अलावा अलग से भी गांजा बेचता था। पुलिस अब इस गिरोह को गांजा सप्लाई करने वाली चेन पर भी नजर रखे हुए है। योगेंद्र के खिलाफ पहले से ही फेज 3 और सेक्टर-113 थाने में एनडीपीएस एक्ट के तहत तीन केस दर्ज हैं। उसके दोनों साथियों के आपराधिक इतिहास का भी पता लगाया जा रहा है।
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