छत्तीसगढ़ धान खरीदी: किसानों से अवैध वसूली पर नेता प्रतिपक्ष का वार, सरकारी खजाने पर सवाल

TOI.in
Subscribe

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने सरकार पर किसानों से अवैध वसूली का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मजदूरी के नाम पर किसानों से पैसे वसूले जा रहे हैं। सहकारी समितियों के कर्मचारियों की हड़ताल से धान खरीदी ठप पड़ने की आशंका है।

chhattisgarh paddy procurement opposition leaders sharp attack on government over illegal recovery from farmers questions on government treasury
रायपुर: छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों से अवैध रूप से मजदूरी के नाम पर पैसे वसूले जा रहे हैं, जबकि यह खर्च सरकार को उठाना चाहिए। महंत ने चेतावनी दी है कि अगर सहकारी समितियों के कर्मचारियों और डेटा एंट्री ऑपरेटरों की हड़ताल खत्म नहीं हुई तो धान खरीदी का काम ठप पड़ सकता है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में महंत ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर धान खरीदने वाले केंद्रों पर किसानों से प्रति क्विंटल 7.50 रुपये बैग भरने और मजदूरी के नाम पर वसूले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को या तो भरे हुए बोरों में धान लाना होगा या फिर मजदूरों को प्रति बोरा (40 किलो) 3 रुपये देने होंगे, वरना उनका धान नहीं खरीदा जाएगा।

महंत ने बताया कि केंद्र सरकार पहले ही राज्य की खरीद एजेंसियों को प्रति क्विंटल 22.05 रुपये देती है। यह पैसा धान की भराई, तौल, सिलाई, मार्किंग, लोडिंग और स्टैकिंग जैसे सभी खर्चों के लिए होता है। उन्होंने 9 अक्टूबर 2025 के एक केंद्रीय सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा कि 2023-24 और 2024-25 सीजन में इस तरह से अवैध वसूली 220.68 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। उन्होंने सरकार से तुरंत इस वसूली को रोकने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो कांग्रेस पूरे राज्य में आंदोलन करेगी।
एक दूसरे पत्र में महंत ने कहा कि 2025-26 का धान खरीदी सीजन 15 नवंबर से शुरू होने वाला है, लेकिन 2,058 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के कार्यालय और 2,739 खरीद केंद्र हजारों सहकारी और खरीद कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण बंद पड़े हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने हड़ताल खत्म कराने के लिए कोई प्रगति नहीं की है, जिससे धान खरीदी का सुचारू रूप से शुरू होना लगभग असंभव हो गया है। हड़ताली कर्मचारियों की चार पुरानी मांगें हैं। इनमें खरीदी गई धान की समय पर निकासी और सहकारी समितियों को उनका बकाया कमीशन देना शामिल है, ताकि वे कर्मचारियों को वेतन दे सकें। महंत ने कहा कि खरीद केंद्रों पर धान की कमी, जो धान की देरी से निकासी का नतीजा है, उसे गलती से कर्मचारियों की लापरवाही माना जा रहा है। इसके कारण कर्मचारियों से वसूली की जा रही है और उनके खिलाफ FIR भी दर्ज की जा रही है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक धान रखे रहने से प्राकृतिक रूप से उसका वजन कम हो जाता है।

नेता प्रतिपक्ष ने डेटा एंट्री ऑपरेटरों की समस्याओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कंप्यूटर से होने वाली धान खरीदी प्रक्रिया में ये ऑपरेटर बहुत महत्वपूर्ण हैं। पिछले साल तक उन्हें 12 महीने का वेतन मिलता था, लेकिन 2025-26 के लिए सरकार ने उन्हें मार्केटिंग फेडरेशन के माध्यम से केवल छह महीने का वेतन देने और आउटसोर्सिंग से नियुक्त करने का फैसला किया है। महंत ने इस फैसले को "अत्यधिक अन्यायपूर्ण" बताया। उन्होंने कहा कि डेटा एंट्री ऑपरेटर 18 सालों से काम कर रहे हैं और उन्हें कम नहीं, बल्कि बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे साल के वेतन और नियमितीकरण की उनकी मांगें जायज हैं।