डॉक्टरों का कहना है कि युवाओं की जोखिम उठाने की प्रवृत्ति और कंडोम का इस्तेमाल न करना एचआईवी के बढ़ते मामलों की वजह है। स्वास्थ्य अधिकारी बताते हैं कि एर्नाकुलम में दूसरे राज्यों से आकर बसने वाले युवा और कामकाजी लोग, साथ ही यहां मौजूद कई निजी अस्पतालों में आसानी से जांच की सुविधा उपलब्ध होना भी मामलों के बढ़ने के कारण हैं।जिले के एक डॉक्टर ने बताया, "जब हम एचआईवी से पीड़ित लोगों से बात करते हैं, तो कुछ लोग संक्रमण को लेकर बहुत परेशान होते हैं और कहते हैं कि वे गलती से संक्रमित हो गए। कुछ लोग शराब या नशीले पदार्थों के नशे में बिना कंडोम के यौन संबंध बनाते हैं और संक्रमित हो जाते हैं। हम यह भी देख रहे हैं कि 30 साल के विवाहित जोड़ों के भी कई साथी होते हैं और वे असुरक्षित यौन संबंध से संक्रमित हो जाते हैं।"
एर्नाकुलम में सामने आए ज्यादातर एचआईवी मामले पुरुषों में हैं। डॉक्टर ने यह भी बताया कि कई बार लोग ऐसे अजनबियों से संक्रमित हो जाते हैं, जिन्हें वे कुछ दिनों से ही जानते हैं।
यह समझना ज़रूरी है कि एचआईवी पॉजिटिव होना और एड्स का मरीज़ बनना दो अलग-अलग बातें हैं। अगर किसी के खून में एचआईवी का पता चलता है, तो वह एचआईवी पॉजिटिव है। एंटीवायरल दवाएं, पौष्टिक आहार और सुरक्षित यौन संबंध (कई साथियों से बचकर) से वायरल लोड को कम किया जा सकता है। एड्स तब होता है जब एचआईवी वायरस का लोड बहुत बढ़ जाता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या) 200 से बहुत नीचे चली जाती है और व्यक्ति को कई तरह के संक्रमण हो जाते हैं।
युवाओं में एचआईवी के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य विभाग चिंतित है। डॉक्टरों का कहना है कि लोगों को सुरक्षित यौन संबंध के बारे में जागरूक करना बहुत ज़रूरी है। कंडोम का इस्तेमाल न केवल एचआईवी से बचाता है, बल्कि अन्य यौन संचारित रोगों से भी सुरक्षा देता है। डेटिंग ऐप्स के इस्तेमाल में सावधानी बरतने और अजनबियों के साथ यौन संबंध बनाने से पहले पूरी जानकारी लेने की सलाह दी जा रही है। नशीली दवाओं के सेवन और सुइयों को साझा करने से भी बचना चाहिए।
एर्नाकुलम में एचआईवी के मामलों में वृद्धि को लेकर स्वास्थ्य अधिकारी लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। उनका मानना है कि सही जानकारी और सावधानी बरतकर इस गंभीर बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है। लोगों को यह भी समझना चाहिए कि एचआईवी का पता चलने पर घबराने की बजाय तुरंत इलाज शुरू करवाना चाहिए, ताकि वे एक सामान्य जीवन जी सकें।
