इंद्रजित सुकुमारन का सेना में जाने का सपना और 'धीरम' से कनेक्शन: जानें पूरी कहानी

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अभिनेता इंद्रजीत सुकुमारन ने सेना में जाने के अपने सपने को साझा किया। सैनिक स्कूल के दिनों ने उन्हें अनुशासन सिखाया। पिता के निधन के बाद उन्होंने सेना का रास्ता छोड़ दिया। यह घटना उनके जीवन का मोड़ बनी और वे सिनेमा की ओर आ गए। उनकी नई फिल्म 'धीरम' जल्द ही रिलीज हो रही है।

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अभिनेता इंद्रजीत सुकुमारन ने अपनी आने वाली फिल्म 'धीरम' के रिलीज से पहले अपने बचपन के सेना में जाने के सपने और अपने पिता, अभिनेता सुकुमारन के निधन के बाद इस महत्वाकांक्षा को छोड़ने के कारणों के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे सैनिक स्कूल में बिताए उनके बचपन ने उन्हें अनुशासन सिखाया और कैसे एक दुखद घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी, जिससे वे सिनेमा की ओर मुड़ गए।

इंद्रजीत सुकुमारन ने एशियन न्यूज से बात करते हुए कहा कि वे सैनिक स्कूल में पले-बढ़े हैं, जहाँ खाकी वर्दी रोज़मर्रा के अनुशासन का हिस्सा थी। उन्होंने याद करते हुए कहा, “खाकी शर्ट, खाकी पैंट हमारी वर्दी थी। इसलिए खाकी पहनना मेरे लिए बहुत जानी-पहचानी बात है।” उन्होंने इसे अपनी फिल्म 'धीरम' में अपनी भूमिका से जोड़ा। वर्दी की सटीकता, छोटी सी लापरवाही पर भी मिलने वाली सज़ाएँ, और एक कैडेट से अपेक्षित व्यवहार ने उन पर गहरी छाप छोड़ी। वे कहते हैं कि वे इन आदतों को अपने ऑन-स्क्रीन किरदारों में जानबूझकर लाते हैं।
कई सैन्य स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की तरह, इंद्रजीत भी सेना में शामिल होना चाहते थे। उन्होंने लिखित परीक्षा पास की और एसएसबी इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर प्राप्त किया, जिसे वे उस समय एक बड़ी उपलब्धि मानते थे। उन्होंने साझा किया, “हममें से केवल आठ या नौ लोग ही पहली बार में इसे पास कर पाए थे, और मैं उनमें से एक था।” इंटरव्यू सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, वे मेडिकल टेस्ट के लिए बेंगलुरु गए। हालांकि, आँखों के संक्रमण के कारण, उन्हें इलाज के बाद लौटने की सलाह दी गई। इसके बाद जो हुआ, उसने उनके जीवन की दिशा हमेशा के लिए बदल दी।

अपने फॉलो-अप अपॉइंटमेंट से पहले के 15 दिनों के अंतराल के दौरान, इंद्रजीत के पिता का अचानक निधन हो गया। इस त्रासदी ने उन्हें सेना के उस रास्ते से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया जिसके लिए उन्होंने इतनी मेहनत की थी। उन्होंने कहा, “उसके बाद, मैंने फिर कभी सेना के बारे में नहीं सोचा। अपनी माँ के साथ रहना मेरी प्राथमिकता बन गया।” उनके कई बैचमेट्स आखिरकार सेना में शामिल हो गए और आज भी सेवा कर रहे हैं। पीछे मुड़कर देखते हुए, वे उस पल को एक "मोड़" कहते हैं, जिसने अनजाने में उन्हें सिनेमा की ओर धकेल दिया।

इस बीच, 'धीरम' 5 दिसंबर को बड़े पर्दे पर दस्तक देने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह फिल्म एक जांच थ्रिलर है, और इंद्रजीत का इसमें अभिनय दर्शकों के बीच उत्सुकता पैदा कर रहा है। फिल्म के रिलीज होने का इंतजार कर रहे फैंस के लिए, इंद्रजीत का यह खुलासा उनके किरदार और फिल्म के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को और भी गहरा बनाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे उनके सैनिक स्कूल के अनुभव और जीवन के उतार-चढ़ाव उनकी ऑन-स्क्रीन परफॉर्मेंस को प्रभावित करते हैं। यह फिल्म न केवल एक थ्रिलर है, बल्कि एक ऐसे कलाकार की कहानी भी है जिसने अपने जीवन के अप्रत्याशित मोड़ों को स्वीकार किया और अपनी राह बनाई।

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