साझा भोजन, साझा माइक्रोबायोम: पार्टनर की गट हेल्थ पर आपकी डाइट का असर

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आप जो खाते हैं उसका असर सिर्फ आप पर नहीं, आपके पार्टनर पर भी पड़ता है। आपकी खान-पान की आदतें पार्टनर के पेट के सूक्ष्मजीवों, यानी गट माइक्रोबायोम को बदल सकती हैं। साथ रहने वाले कपल्स के गट माइक्रोबायोम एक जैसे होने लगते हैं। स्वस्थ भोजन दोनों की सेहत को मजबूत कर सकता है।

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क्या आप जानते हैं कि आप जो खाते हैं, उसका असर सिर्फ आप पर ही नहीं, बल्कि आपके पार्टनर पर भी पड़ता है? जी हाँ, आपके खाने की आदतें आपके पार्टनर की सेहत को भी सीधे तौर पर प्रभावित कर सकती हैं, खासकर उनके पेट के अंदर रहने वाले सूक्ष्मजीवों, जिन्हें गट माइक्रोबायोम (gut microbiome ) कहते हैं। यह गट माइक्रोबायोम पाचन, इम्यूनिटी, एनर्जी, हॉर्मोन और यहां तक कि मानसिक सेहत के लिए भी बहुत ज़रूरी है। जब कपल्स साथ में खाना खाते हैं और उनकी खान-पान की आदतें मिलती-जुलती होती हैं, तो उनके गट माइक्रोबायोम भी एक जैसे होने लगते हैं। इसका मतलब है कि आप सिर्फ प्यार और किराने का सामान ही नहीं, बल्कि सूक्ष्मजीव भी शेयर कर रहे हैं!

हाल ही में 'साइंटिफिक रिपोर्ट्स' (Scientific Reports) में छपे एक रिसर्च में यह बात सामने आई है। इस रिसर्च में साथ रहने वाले कपल्स के गट माइक्रोबायोम की जांच की गई। पता चला कि जो कपल्स साथ रहते हैं, उनके पेट में रहने वाले सूक्ष्मजीव (microbiota) उन लोगों की तुलना में कहीं ज़्यादा मिलते-जुलते हैं जो एक ही समुदाय में रहते हैं लेकिन साथ नहीं रहते। रिसर्च के मुताबिक, एक जैसा खान-पान और माहौल इन सूक्ष्मजीवों की बनावट पर गहरा असर डालता है। इससे यह साबित होता है कि एक पार्टनर का खाना दूसरे पार्टनर के अंदरूनी माइक्रोबायोम को समय के साथ बदल सकता है। यह रिसर्च बताती है कि हमारा खान-पान, हमारे पार्टनर की गट हेल्थ को तय करने में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है।
आपके पेट में खरबों सूक्ष्मजीव रहते हैं, जो खाना पचाने, पोषक तत्वों को सोखने और हमारी इम्यूनिटी को मज़बूत बनाने में मदद करते हैं। इन सूक्ष्मजीवों का संतुलन इस बात पर निर्भर करता है कि आप क्या खाते हैं। अगर आप फाइबर, फल, सब्ज़ियां, दालें और साबुत अनाज ज़्यादा खाते हैं, तो आपके पेट में अच्छे बैक्टीरिया बढ़ते हैं। लेकिन अगर आप चीनी, प्रोसेस्ड फूड और सैचुरेटेड फैट ज़्यादा खाते हैं, तो इन बैक्टीरिया की विविधता कम हो जाती है और सूजन (inflammation) और मेटाबॉलिक असंतुलन (metabolic imbalance) को बढ़ावा देने वाले बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं।

जब कपल्स एक जैसे खाना खाते हैं और उनकी खान-पान की आदतें एक जैसी होती हैं, तो उनके माइक्रोबायोम भी एक जैसे हो जाते हैं। इसका मतलब है कि उन्हें पोषक तत्व भी एक जैसे मिलते हैं, पेट में खाना पचने की प्रक्रिया भी एक जैसी होती है और बैक्टीरिया की प्रतिक्रिया भी एक जैसी होती है। धीरे-धीरे, दोनों का माइक्रोबायोम एक तालमेल में आ जाता है। यह तालमेल अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप टेबल पर क्या चुनते हैं।

कपल्स अक्सर एक ही तरह की चीज़ें खरीदते हैं, एक जैसा खाना बनाते हैं, एक जैसी दुकानों से सामान लेते हैं और एक ही समय पर खाते हैं। यहां तक कि साथ में स्नैक्स खाना या वीकेंड पर बाहर का खाना खाना भी उनके पेट के सूक्ष्मजीवों को एक जैसा बनाने में मदद करता है। रिसर्चर्स का मानना है कि एक-दूसरे के करीब रहना, एक ही बर्तन से खाना खाना, किस करना और माहौल में मौजूद बैक्टीरिया भी माइक्रोबायोम को एक जैसा बनाने में योगदान करते हैं। लेकिन इन सबमें सबसे बड़ा असर खान-पान का ही होता है।

जब कपल्स साथ में हेल्दी खाना शुरू करते हैं, तो दोनों के पेट में अच्छे बैक्टीरिया बढ़ते हैं। वहीं, अगर एक पार्टनर घर के खाने में ज़्यादा प्रोसेस्ड या फैट वाला खाना शामिल करता है, तो दूसरे पार्टनर के पेट की बनावट भी उसी दिशा में बदल सकती है। इस तरह, खान-पान की आदतें सिर्फ व्यक्तिगत पसंद नहीं रह जातीं, बल्कि एक साझा जैविक अनुभव बन जाती हैं।

अगर एक पार्टनर की अनहेल्दी खाने की आदतें आपके पार्टनर की गट हेल्थ को नुकसान पहुंचाती हैं, तो इसका असर दोनों पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई पार्टनर अनियमित रूप से खाता है, बहुत ज़्यादा फास्ट फूड खाता है या फाइबर वाला खाना छोड़ देता है, तो यह साझा खान-पान दोनों को कम विविध और ज़्यादा अस्थिर माइक्रोबायोम की ओर ले जा सकता है। कम विविध माइक्रोबायोम से पेट में दिक्कत, कम इम्यूनिटी, ज़्यादा सूजन और मोटापे, टाइप 2 डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

लाइफस्टाइल का मेल-जोल होने से अनहेल्दी आदतें आसानी से फैल सकती हैं। जैसे, अगर एक पार्टनर रोज़ मीठा खाने की ज़िद करे या देर रात ऑनलाइन खाना ऑर्डर करे, तो यह जल्द ही पूरे घर की आदत बन सकती है और दोनों की गट हेल्थ को बिगाड़ सकती है। जो चीज़ सुविधा के लिए शुरू हुई थी, वह बाद में दोनों के लिए सेहत का झटका बन सकती है।

लेकिन अच्छी बात यह है कि अगर आप हेल्दी खाने की आदतें अपनाते हैं, तो इसका फायदा दोनों को होता है। जब कपल्स साथ में घर का बना खाना, सब्ज़ियां, फर्मेंटेड फूड (जैसे दही, छाछ), ज़्यादा फाइबर वाले विकल्प और संतुलित समय पर खाना खाते हैं, तो वे अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। पार्टनर एक-दूसरे को सोच-समझकर खाने, रेसिपी प्लान करने और प्रोसेस्ड फूड कम करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

जब आपके लक्ष्य एक जैसे होते हैं, तो आप लगातार प्रयास करते हैं। एक साथ नियमित समय पर खाना खाना, मीठे पेय की जगह पानी पीना और घर में हेल्दी स्नैक्स रखना, ये सब मिलकर उस माहौल को बदलते हैं जो माइक्रोबायोम को आकार देता है।

सिर्फ खाना ही नहीं, बल्कि स्ट्रेस लेवल, नींद की क्वालिटी, फिजिकल एक्टिविटी और सामाजिक मेल-जोल भी गट हेल्थ को प्रभावित करते हैं। जो कपल्स एक-दूसरे को आराम करने, झगड़े कम करने, स्ट्रेस को अच्छी तरह से मैनेज करने और साथ में एक्टिव रहने में मदद करते हैं, वे माइक्रोबायोम को स्थिर रखने में मदद करते हैं। साथ रहने का मतलब सिर्फ खाना शेयर करना नहीं है, बल्कि उन पर्यावरणीय प्रभावों को भी शेयर करना है जो हमारे शरीर के संतुलन को प्रभावित करते हैं।

यह समझना कि गट हेल्थ शेयर की जा सकती है, सेहत को लेकर टीम वर्क को मज़बूत बनाता है। कपल्स एक-दूसरे की सेहत का ध्यान रख सकते हैं और सोच-समझकर खाने के फैसले ले सकते हैं। खाने की पसंद पर बात करना, साथ में खाना बनाने की आदतें बनाना और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड कम करना, ये सब दोनों को जैविक और भावनात्मक रूप से फायदा पहुंचा सकते हैं।

अच्छी आदतें संक्रामक होती हैं। रिसर्च बताती है कि लोग जब अपने साथ रहने वाले किसी व्यक्ति के साथ कोई काम करते हैं, तो उनके उस काम को बनाए रखने की संभावना ज़्यादा होती है। बेहतर गट हेल्थ से एनर्जी बढ़ती है, पाचन ठीक रहता है, इम्यूनिटी मज़बूत होती है और मूड भी बेहतर होता है, जिससे रिश्ते में समग्र रूप से सुधार आता है।

तो हाँ, आपकी खाने की आदतें आपके पार्टनर की गट हेल्थ को प्रभावित कर सकती हैं। माइक्रोबायोम प्रतिक्रियाशील, गतिशील होता है और यह काफी हद तक साझा खान-पान और माहौल से आकार लेता है। साथ में खाना खाने वाले पार्टनर अपने अंदरूनी सूक्ष्मजीवों को एक तालमेल में ले आते हैं, जिससे या तो एक साझा फायदा होता है या एक साझा जोखिम। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन, संतुलित दिनचर्या और सोच-समझकर खाना चुनना दोनों की सेहत को मज़बूत कर सकता है। स्वस्थ भोजन सिर्फ एक व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह आपसी सेहत में एक साझा निवेश है।

यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है और इसे पेशेवर चिकित्सा, पोषण या वैज्ञानिक सलाह का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। व्यक्तिगत सिफारिशों के लिए हमेशा प्रमाणित पेशेवरों से सहायता लें।