ये 'साइलेंट किलर' बीमारियां इसलिए खतरनाक हैं क्योंकि ये धीरे-धीरे और बिना किसी चेतावनी के हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंचाती हैं। जब तक हमें पता चलता है कि कुछ गलत है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। ये बीमारियां हमारे दिल, लिवर, किडनी और पैंक्रियाज जैसे ज़रूरी अंगों को धीरे-धीरे खराब करती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज (NCDs) दुनिया की सबसे बड़ी 'साइलेंट किलर' बीमारियों में से हैं। ये बीमारियां हर साल दुनिया भर में होने वाली कुल मौतों में से लगभग तीन-चौथाई मौतों का कारण बनती हैं। इन बीमारियों में हार्ट डिजीज, कैंसर, क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज और डायबिटीज शामिल हैं। ये बीमारियां अक्सर महीनों या सालों तक धीरे-धीरे बढ़ती हैं और इनके कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते। इस वजह से, जब तक गंभीर नुकसान नहीं हो जाता, तब तक लोगों को पता ही नहीं चलता। खराब खान-पान, शारीरिक गतिविधि की कमी, तंबाकू का सेवन और प्रदूषण जैसे आम कारणों की वजह से बहुत से लोग तब तक खतरे में नहीं होते जब तक बहुत देर न हो जाए।जानलेवा बीमारियां बहुत तेज़ी से बढ़ सकती हैं और अक्सर तब तक पता नहीं चलतीं जब तक गंभीर समस्याएं पैदा न हो जाएं। इन जानलेवा बीमारियों को समझना बहुत ज़रूरी है ताकि इन्हें जल्दी पहचाना जा सके, समय पर इलाज मिल सके और बचने की संभावना बढ़ाई जा सके।
फैटी लिवर डिजीज ( Fatty Liver Disease ):
फैटी लिवर डिजीज तब होती है जब लिवर में बहुत ज़्यादा फैट जमा हो जाता है। शुरुआती दौर में इसके कोई खास लक्षण नहीं दिखते, इसलिए इसे आसानी से नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह लिवर में सूजन, घाव और यहां तक कि लिवर को अपरिवर्तनीय (irreversible) नुकसान पहुंचा सकती है। फैटी लिवर डिजीज से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली बहुत ज़रूरी है। सब्ज़ियों, फलों, लीन प्रोटीन (कम फैट वाले मांस) और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार लें। साथ ही, नियमित रूप से व्यायाम करें। इससे शुरुआती फैटी लिवर को ठीक किया जा सकता है। नियमित स्वास्थ्य जांच और लिवर फंक्शन टेस्ट (liver function tests) करवाना शुरुआती पहचान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
हार्ट डिजीज ( Heart Disease ):
हार्ट डिजीज दुनिया भर में मौत का एक प्रमुख कारण है, और इसके कई प्रकारों में शुरुआती लक्षण नहीं दिखते। उदाहरण के लिए, कोरोनरी आर्टरी डिजीज (coronary artery disease) में दिल को खून और ऑक्सीजन पहुंचाने वाली धमनियां संकरी हो जाती हैं। शुरुआती दौर में इसका पता नहीं चलता, लेकिन बाद में यह हार्ट अटैक का कारण बन सकती है। साइलेंट हार्ट अटैक (silent heart attacks) विशेष रूप से खतरनाक होते हैं क्योंकि ये सीने में दर्द जैसे स्पष्ट चेतावनी संकेतों के बिना भी हो सकते हैं। दिल की मांसपेशियों को ऑक्सीजन की कमी से थकान, हल्का बेचैनी या सांस लेने में तकलीफ जैसे हल्के लक्षण हो सकते हैं, जिन्हें अक्सर लोग अनदेखा कर देते हैं। दिल को स्वस्थ रखने वाली जीवनशैली अपनाना और नियमित कार्डियोवैस्कुलर चेकअप (cardiovascular checkups) करवाना इन साइलेंट किलर्स के खतरे को काफी कम कर सकता है।
हाइपरटेंशन (Hypertension) यानी हाई ब्लड प्रेशर:
हाई ब्लड प्रेशर, जिसे हाइपरटेंशन भी कहते हैं, दुनिया भर में तेज़ी से बढ़ रहा है। इसे अक्सर 'साइलेंट किलर' कहा जाता है क्योंकि शुरुआती दौर में इसके बहुत कम लक्षण होते हैं। चेतावनी संकेतों की कमी के बावजूद, हाइपरटेंशन धीरे-धीरे रक्त वाहिकाओं (blood vessels) को नुकसान पहुंचा सकता है और हार्ट अटैक, स्ट्रोक और किडनी की बीमारी जैसी जानलेवा स्थितियों के खतरे को बढ़ा सकता है। नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच करवाना और समय पर मेडिकल चेकअप करवाना बहुत ज़रूरी है। जीवनशैली में बदलाव, जैसे नमक का सेवन कम करना, नियमित व्यायाम करना, तनाव का प्रबंधन करना और तंबाकू व अत्यधिक शराब से बचना, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के प्रभावी तरीके हैं।
एचआईवी/एड्स ( HIV/AIDS ):
ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) एड्स (AIDS) का कारण बनता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immune system) पर हमला करता है। शुरुआती दौर में एचआईवी के कोई खास लक्षण नहीं दिखते, जिससे इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। कुछ शुरुआती लक्षण, अगर दिखते भी हैं, तो सामान्य फ्लू या संक्रमण जैसे लग सकते हैं, जिससे लोग इसकी गंभीरता को नहीं समझ पाते। हालांकि एचआईवी का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है, लेकिन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) वायरस को नियंत्रित कर सकती है और एड्स में इसके बढ़ने से रोक सकती है। शुरुआती जांच और इलाज स्वास्थ्य बनाए रखने और संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए बहुत ज़रूरी है। सुरक्षित यौन संबंध बनाना और नियमित मेडिकल स्क्रीनिंग सबसे प्रभावी निवारक उपाय बने हुए हैं।
टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes):
टाइप 2 डायबिटीज तब होती है जब शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी (resistant) हो जाता है या पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। शुरुआती दौर में इसके कोई खास लक्षण नहीं होते, जिससे इसका जल्दी पता लगाना मुश्किल हो जाता है। समय के साथ, हाई ब्लड शुगर दिल, किडनी, आंखों और नसों को नुकसान पहुंचा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज को रोकने के लिए सतर्कता ज़रूरी है। नियमित मेडिकल चेकअप, संतुलित आहार, स्वस्थ वजन बनाए रखना और नियमित शारीरिक गतिविधि इसके लिए आवश्यक कदम हैं। जल्दी पता लगने से ब्लड शुगर के स्तर को बेहतर ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है और गंभीर जटिलताओं के खतरे को कम किया जा सकता है।
साइलेंट किलर बीमारियों से बचाव के उपाय:
फैटी लिवर डिजीज से बचाव:
अपने वजन को नियंत्रित रखें। इसके लिए सब्ज़ियों, फलों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार लें। नियमित रूप से व्यायाम करें। शराब का सेवन सीमित करें और ज़्यादा चीनी व अस्वास्थ्यकर वसा वाले प्रोसेस्ड फूड से बचें। नियमित लिवर फंक्शन टेस्ट (liver function tests) करवाने से गंभीर नुकसान होने से पहले शुरुआती बदलावों का पता लगाया जा सकता है।
हार्ट डिजीज से बचाव:
दिल को स्वस्थ रखने वाली जीवनशैली अपनाएं। ऐसा आहार लें जिसमें सैचुरेटेड फैट (saturated fats) और नमक कम हो। नियमित व्यायाम करें, धूम्रपान से बचें और तनाव का प्रबंधन करें। नियमित कार्डियोवैस्कुलर चेकअप (cardiovascular checkups), कोलेस्ट्रॉल की निगरानी और ब्लड प्रेशर की जांच से शुरुआती जोखिमों का पता लगाने में मदद मिलती है।
हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) से बचाव:
अपने ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करें और अगर यह बढ़ा हुआ है तो डॉक्टर की सलाह का पालन करें। नमक का सेवन कम करें, स्वस्थ वजन बनाए रखें, लगातार व्यायाम करें, तनाव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करें और तंबाकू व अत्यधिक शराब का सेवन न करें।
एचआईवी/एड्स से बचाव:
सुरक्षित यौन व्यवहार अपनाएं, जैसे कंडोम का उपयोग करना और पार्टनर की संख्या सीमित रखना। नियमित रूप से एचआईवी की जांच करवाएं, खासकर यदि आप जोखिम में हैं। यदि आप पॉजिटिव पाए जाते हैं, तो तुरंत एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) शुरू करें। जागरूकता, जल्दी पता लगाना और इलाज का पालन करना एड्स में बीमारी को बढ़ने से रोकने और संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद करता है।
टाइप 2 डायबिटीज से बचाव:
संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और स्वस्थ वजन प्रबंधन के साथ एक स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें। यदि आप जोखिम में हैं तो अपने ब्लड शुगर के स्तर की निगरानी करें, नियमित स्वास्थ्य जांच में भाग लें और इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) के शुरुआती लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर की सलाह का पालन करें। जल्दी हस्तक्षेप दिल, किडनी, आंखों और नसों को प्रभावित करने वाली जटिलताओं को रोकने में मदद करता है।
आज अपनी सेहत का ध्यान रखना कल आपकी जान बचा सकता है। इन 'साइलेंट किलर' बीमारियों के बारे में जागरूक रहना और बचाव के उपाय अपनाना ही इनसे लड़ने का सबसे अच्छा तरीका है। नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली हमें इन खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रख सकती है।
