एनएचएआई ने नगर निगम मानेसर और नगर निगम गुड़गांव को इस गंभीर समस्या के बारे में आगाह करने के लिए पत्र लिखे थे। इसके बावजूद, स्थिति जस की तस बनी हुई है। एनएचएआई की निर्माण एजेंसी एलएंडटी ने साफ तौर पर बताया है कि नगर निगम के इलाकों से उठाया गया कूड़ा एक्सप्रेसवे के आसपास डंप किया जा रहा था। अब तो यह कचरा सीधे डंपरों से एक्सप्रेसवे पर ही गिरने लगा है।भारी भरकम डंपर चलते-चलते एक्सप्रेसवे पर कचरा गिराते जा रहे हैं। इससे न केवल सड़क की सुंदरता बिगड़ रही है, बल्कि भारी वाहनों की आवाजाही से सड़क को नुकसान पहुंचने का खतरा भी बढ़ गया है। अधिकारियों का कहना है कि अगर यही हाल रहा, तो यह शानदार एक्सप्रेसवे कुछ ही समय में पूरी तरह बदहाल हो जाएगा।
द्वारका एक्सप्रेसवे को बहुत ऊंचे मानकों के हिसाब से बनाया गया है। निर्माता कंपनी का कहना है कि इस एक्सप्रेसवे को हाई स्टैंडर्ड मानकों के अनुसार बनाया गया है। लेकिन अवैध रूप से कूड़ा फेंकने की वजह से इसकी पहचान और खूबसूरती दोनों बर्बाद हो रही हैं। कचरे के कारण मच्छर बढ़ रहे हैं, बदबू फैल रही है और संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे हालात किसी भी बड़े शहर के लिए बहुत शर्मनाक हैं।
एनएचएआई ने नगर निगम से साफ तौर पर कहा है कि एक्सप्रेसवे के किनारे जमा कूड़े को तुरंत हटाया जाए। अवैध डंपिंग को रोकने के लिए कड़ी निगरानी रखी जाए और नियमित रूप से सफाई अभियान चलाया जाए। ऐसा इसलिए ताकि इस सड़क की पहचान बनी रहे। लेकिन इन सब बातों के बावजूद, अब तक कोई ठोस कार्रवाई देखने को नहीं मिल रही है।
यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि द्वारका एक्सप्रेसवे को दिल्ली और गुड़गांव के बीच यातायात को सुगम बनाने के लिए बनाया गया था। यह एक आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रतीक है। लेकिन कूड़े के ढेर इस सपने को तोड़ रहे हैं। लोगों को उम्मीद है कि अधिकारी इस समस्या पर जल्द ध्यान देंगे और एक्सप्रेसवे को फिर से साफ-सुथरा बनाएंगे। यह न केवल यात्रियों के लिए आरामदायक होगा, बल्कि शहर की छवि के लिए भी बेहतर होगा।

