चार शव एक साथ निकले तो नम हो गईं सबकी आंखें

नवभारत टाइम्स
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दिल्ली के सादतपुर में गोवा अग्निकांड के चार मृतकों के शव एक साथ लाए गए। कबडवाल निवास के बाहर चार अर्थियां खड़ी थीं। पिता बाल कृष्ण जोशी और विनोद की मां का दुख असहनीय था। बहनों कमला, अनीता, सरोज और दामाद विनोद के शवों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। यह दृश्य अत्यंत मार्मिक था।

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नई दिल्ली: करावल नगर के सादतपुर एक्सटेंशन में उस वक्त मातम छा गया जब गोवा में आग लगने की घटना में मारे गए चार लोगों के शव एक साथ घर लाए गए। मरने वालों में तीन बहनें और एक बहनोई शामिल थे, जो गोवा घूमने गए थे। इस दुखद घटना ने पूरे मोहल्ले को झकझोर कर रख दिया।

सादतपुर एक्सटेंशन एन-ब्लॉक की गली नंबर-15 की टूटी-फूटी हालत और पास बह रहे गंदे नाले के बावजूद, मोहल्ले वालों ने मिलकर इस गली को साफ रखने की कोशिश की थी। लेकिन सोमवार को इसी गली के मकान नंबर-223, 'कबडवाल निवास' के बाहर चार अर्थियां खड़ी थीं। यह घर कभी खुशियों से भरा रहता था, लेकिन अब यहां सिर्फ मातम का माहौल था। घर के मुखिया लीलाधर कबडवाल का करीब छह साल पहले निधन हो गया था। वे सामाजिक कार्यों में सक्रिय थे और रामलीला में रावण का किरदार निभाते थे।
'कबडवाल निवास' के बाहर लोगों की भारी भीड़ जमा थी। रिश्तेदारों और पड़ोसियों की आंखों में आंसू थे। इसी भीड़ के बीच एक बुजुर्ग शख्स गुमसुम बैठे थे। वे बाल कृष्ण जोशी थे, जो दिल्ली जल बोर्ड से रिटायर हैं। वे इस दुखद घटना में अपनी तीन बेटियों - कमला, अनीता, सरोज और दामाद विनोद को खो चुके थे। घर के अंदर विनोद की मां का रो-रोकर बुरा हाल था।

पड़ोसियों ने बताया कि विनोद दो हफ्ते पहले ही वैष्णो देवी के दर्शन करके लौटा था। उसकी भाभी कमला और पत्नी भावना, दोनों बहनें काफी समय से गोवा जाने का प्लान बना रही थीं। वे चारों बहनें कुछ दिन साथ बिताना चाहती थीं। बहनों ने विनोद को भी अपने साथ चलने के लिए मना लिया था। लेकिन किसे पता था कि कुदरत को कुछ और ही मंजूर था।

दोपहर करीब 2:30 बजे चारों शव एयरपोर्ट से एंबुलेंस में सादतपुर लाए गए। पिता बाल कृष्ण जोशी को उनकी बेटी भावना ने सहारा दिया, जो गोवा से लौटी थी। विनोद के बड़े भाई और कमला के पति नवीन को भी रिश्तेदार संभालते हुए घर लाए। चारों शवों को घर के अंदर ले जाया गया। सिर्फ 15 मिनट बाद, विनोद के शव को अर्थी पर रखा गया, जबकि बुरी तरह जली हुई तीनों बहनों के शव ताबूत में रखे गए। जब चारों शव एक साथ उठे, तो रिश्तेदारों की चीत्कारें निकल गईं और मोहल्ले वालों की आंखें नम हो गईं। यह मंजर बेहद दिल दहला देने वाला था।

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