वसई-विरार में फर्जी दस्तावेजों का मामला सामने आया है। बिल्डरों ने मनपा में फर्जी दस्तावेज जमा करके सीसी हासिल की। राजेश नंदा, रोहित प्रेमजी छेड़ा और दिलीप मोटानी ने आलीशान इंडस्ट्री खड़ी कर दी। आरटीआई से खुलासा होने पर मनपा ने सीसी रद्द कर दी है। मामले की जांच जारी है, दोषियों पर कार्रवाई का इंतजार है।
AI Image(फोटो- TIL Creatives)
मुंबई : वसई-विरार में पिछले दिनों हुई ईडी की कार्रवाई से शहर में पहले से ही हंमागा मचा हुआ है। अब फर्जी दस्तावेज ों के जरिए एक और इमारत बनाने का मामला सामने आया है। वसई के रहने वाले बिल्डर ने 2020 में मनपा के टाउन प्लांनिग विभाग में फर्जी दस्तावेज जमा कर सीसी हासिल की और आलीशान इंडस्ट्री खड़ी कर दी। आरटीआई में पता चला कि बिल्डरों ने मनपा में जो दस्तावेज जमा किए थे, उनमें नक्शा फर्जी लगाया था।
परिसर में दस से बारह इमारतें
इस परिसर में दस से बारह इमारतें बनाई गई हैं। आरटीआई से इसका खुलासा हुआ है। इसके बाद मनपा ने सीसी को रद्द कर दी है। हालांकि, फर्जीवाड़ा करने वाले बिल्डर और इमारतों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
मनपा ने दी थी परमिशन
जानकारी के अनुसार, वसई के बिल्डर राजेश नंदा, रोहित प्रेमजी छेड़ा और दिलीप मोटानी की मुंबई-अहमदाबाद हाइवे से सटे वसई फाटा के पास सर्वे नंबर 158, 159 में जमीन है। 2020 में उन्होंने इस जमीन पर इंडस्ट्रीज बनाने के लिए मनपा के टाउन प्लानिंग (नगर रचना) विभाग में सीसी के लिए आवेदन किया था। मनपा ने उन्हें परमिशन दे दी। तीनों ने वहां लोटस नाम से आलीशान 10 से 12 तीन मंजिला इंडस्ट्री बना दी।
नक्शा लगाया था फर्जी
हाल में प्रहार जनशक्ति पार्टी के नालासोपारा शहर संघटक और आरटीआई कार्यकर्ता चंदू विजय पाटील ने इसकी जानकारी आरटीआई से मांगी, तो पता चला कि बिल्डरों ने मनपा में जो दस्तावेज जमा किए थे, उनमें नक्शा फर्जी लगाया था। इसके बाद कोकण आयुक्त ने जांच के आदेश दिए।
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