मुंबई: मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच बॉम्बे हाई कोर्ट ने मनोज जरांगे पाटील द्वारा बुधवार तक मुंबई में रहने की अनुमति देने के आग्रह को स्वीकार कर लिया है, ताकि वे मराठा आरक्षण के मुद्दे से जुड़ी राज्य कैबिनेट की उप समिति से बातचीत कर सकें। हालांकि देर शाम सरकार और जरांगे के बीच मांगों को लेकर सहमति बन गई। अदालत ने अब मामले की सुनवाई 3 सिंतबर को रखी है। जरांगे ने मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में दस प्रतिशत आरक्षण देने की मांग को लेकर 29 अगस्त को भूख हड़ताल शुरू की थी। इससे पहले कोर्ट ने कहा कि अदालत के आदेश का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम अदालत की गरिमा को बरकरार रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। सुनवाई के बीच प्रदर्शनकारियों के आचरण पर कोर्ट के तल्ख तेवर नज़र आए। कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारी धरना स्थल छोड़ें, अन्यथा कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें।
मुंबई: मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच बॉम्बे हाई कोर्ट ने मनोज जरांगे पाटील द्वारा बुधवार तक मुंबई में रहने की अनुमति देने के आग्रह को स्वीकार कर लिया है, ताकि वे मराठा आरक्षण के मुद्दे से जुड़ी राज्य कैबिनेट की उप समिति से बातचीत कर सकें। हालांकि देर शाम सरकार और जरांगे के बीच मांगों को लेकर सहमति बन गई। अदालत ने अब मामले की सुनवाई 3 सिंतबर को रखी है। जरांगे ने मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में दस प्रतिशत आरक्षण देने की मांग को लेकर 29 अगस्त को भूख हड़ताल शुरू की थी। इससे पहले कोर्ट ने कहा कि अदालत के आदेश का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम अदालत की गरिमा को बरकरार रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। सुनवाई के बीच प्रदर्शनकारियों के आचरण पर कोर्ट के तल्ख तेवर नज़र आए। कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारी धरना स्थल छोड़ें, अन्यथा कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें।







