इंदौर में आईटी और एआई से जुड़ी सेवाओं का निर्यात 10.75% बढ़ा: वैश्विक बाजार में नया अवसर

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इंदौर का आईटी और एआई निर्यात 10.75% बढ़ा है। शहर के स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाकर और यूरोप व मध्य पूर्व से मिले ऑर्डर्स से यह उपलब्धि हासिल की है। यह वृद्धि भारत के दूसरे दर्जे के शहरों के बढ़ते टेक्नोलॉजी निर्यात को दर्शाती है।

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इंदौर: भारत के दूसरे दर्जे के शहरों का टेक्नोलॉजी निर्यात में बढ़ता दबदबा साफ दिख रहा है। इस साल इंदौर के स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZs) ने AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को अपनाने और यूरोप व मध्य पूर्व से बढ़ते ऑर्डर्स की बदौलत दो अंकों की ग्रोथ हासिल की है। इंदौर, जो अब सबसे तेज़ी से उभरते हुए नॉन-मेट्रो टेक हब में से एक है, सॉफ्टवेयर और IT-ES (IT-इनेबल्ड सर्विसेज) के निर्यात में भारी उछाल देख रहा है। इसकी वजह है कंपनियों का AI में अपनी क्षमताएं बढ़ाना और दुनिया भर के नए बाज़ारों में अपने काम का विस्तार करना।

SEZ डेवलपमेंट कमिश्नर के दफ्तर के आंकड़ों के मुताबिक, शहर के पांच SEZs से अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच निर्यात 10.75% बढ़कर 2,413.61 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 2,179 करोड़ रुपये था। शहर का मुख्य IT SEZ, जहां करीब 22 IT और ITES यूनिट्स हैं, इस ग्रोथ का मुख्य आधार बना हुआ है। इसे लगभग 300 IT कंपनियों का भी सहारा मिल रहा है, जो अब मध्य प्रदेश के कुल टेक्नोलॉजी बेस का लगभग 70% हिस्सा हैं।
इन्फोबीन्स के सह-संस्थापक सिद्धार्थ सेठी ने बताया कि AI ने हाई-वैल्यू डिजिटल सेवाओं की मांग को काफी बढ़ाया है। उन्होंने कहा, "AI ने अवसरों की एक विस्तृत श्रृंखला बनाई है, और यह क्षमताएं बनाने का सही समय है। हम अपनी सेवाओं में AI को एकीकृत करने के लिए टीमों को बड़े पैमाने पर फिर से प्रशिक्षित कर रहे हैं। वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, यह क्षेत्र सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।"

इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि यह ट्रेंड एक बड़े बदलाव को दर्शाता है, जहां मध्यम आकार के IT केंद्र उन भूमिकाओं में आ रहे हैं जिन पर पहले बड़े शहर हावी थे। IT बिजनेस कोच विकास सिंह ने कहा कि इंदौर जैसे टियर-2 हब वैश्विक आउटसोर्सिंग में हो रहे संरचनात्मक बदलावों से लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने कहा, "मुख्यधारा की सेवाओं में AI को शामिल करने की इंदौर की क्षमता एक नया बेंचमार्क स्थापित कर रही है। यहां की कंपनियां अब उच्च-मूल्य वाले डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन मैंडेट्स के लिए बोली लगा रही हैं।"

इंदौर की कंपनियां अभी भी अमेरिका को अपना सबसे बड़ा बाज़ार मानती हैं, लेकिन यूरोप और यूएई में भी तेज़ी से विस्तार कर रही हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि वहां के उद्यम क्लाउड, साइबर सुरक्षा और AI-आधारित आधुनिकीकरण को तेज़ी से अपना रहे हैं। सिंह ने बताया कि यह विविधीकरण जोखिम को कम करने और वैश्विक स्थिति को मजबूत करने में मदद करता है।

कंपनियों के प्रदर्शन के आंकड़े शहर की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाते हैं। इंपेटस इन्फोटेक के निर्यात में 86% का उछाल आया, जो 229.87 करोड़ रुपये से बढ़कर 427 करोड़ रुपये हो गया। इन्फोसिस ने 21.59% की ग्रोथ दर्ज की, जबकि यश टेक्नोलॉजीज में 26.39% की बढ़ोतरी हुई और यह 54.40 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। हालांकि, क्रिस्टल आईटी पार्क से निर्यात 14.60% घटकर 288.18 करोड़ रुपये रह गया, और टीसीएस में 2.1% की गिरावट आई, जो 1,084 करोड़ रुपये पर आ गया।

अधिकारियों का कहना है कि इंदौर के एक विश्वसनीय राष्ट्रीय IT हब के रूप में उभरने में बेहतर कनेक्टिविटी, आईआईटी इंदौर जैसे संस्थानों से मिलने वाली मजबूत इंजीनियरिंग प्रतिभा और स्टार्टअप्स व निर्यात-केंद्रित फर्मों से मिलने वाली निवेशक रुचि का बड़ा योगदान है। विश्लेषकों का मानना है कि शहर की यह तरक्की इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे टियर-2 केंद्र नवाचार-संचालित डिजिटल हब के रूप में उभर रहे हैं और भारत के वैश्विक IT फुटप्रिंट में लगातार योगदान दे रहे हैं।

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