अस्पतालों के आसपास की गलियों और मुख्य सड़कों पर कचरे के ढेर लगे हुए हैं। मरीजों और उनके साथ आए लोगों को हर दिन इस बदबूदार कचरे के बीच से होकर गुजरना पड़ता है। कुछ खास समयों पर तो बदबू इतनी बढ़ जाती है कि लोग अपना चेहरा ढक लेते हैं ताकि उन्हें उल्टी जैसा महसूस न हो।जयपुर नगर निगम (JMC) के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि वे रोज़ाना सफाई अभियान चला रहे हैं और खुले कूड़ेदानों को बंद कर रहे हैं। लेकिन अस्पतालों के बाहर की हालत में कोई खास सुधार नहीं दिख रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि आखिरी बार बड़ी सफाई 30 अक्टूबर को हुई थी, जो मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के दौरे के एक दिन बाद थी।
स्थानीय निवासी नीलकंठ मीणा ने कहा, "अस्पताल के ठीक बाहर कचरे के पहाड़ लगे हैं। बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्रशासन चुप है। यह मरीजों और उनके परिवारों के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य जोखिम है।"
राजेंद्र जोशी, जो अपने पिता के इलाज के लिए यहां आए थे, ने बताया, "हम यहां इलाज के लिए आते हैं, लेकिन बदबू इतनी तेज है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसा लगता है कि लोग अस्पताल में घुसने से पहले ही बीमार पड़ जाएंगे।"
पास के दुकानदार सतीश मेहरा ने कहा, "ग्राहक बदबू के कारण मेरी दुकान के पास रुकने से बचते हैं। हमने JMC से कई बार कचरा साफ करने का अनुरोध किया है, लेकिन कोई भी इसे गंभीरता से नहीं लेता।"
यह बदबू और गंदगी न केवल मरीजों के लिए बल्कि अस्पताल के कर्मचारियों और आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन गई है। इस गंभीर समस्या पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि मरीजों को एक स्वच्छ वातावरण मिल सके।

