चेन्नई: सरकारी स्कूल का खेल का मैदान बना किचन, छात्रों के खेल पर संकट

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चेन्नई के उथंडी सरकारी हाई स्कूल के छात्रों का खेल का मैदान अब किचन बन गया है। चेन्नई कॉर्पोरेशन ने सफाई कर्मचारियों के लिए रसोई बनाने हेतु मैदान पर कब्जा कर लिया है। इससे करीब 170 छात्र खेल नहीं पा रहे हैं। यह स्थिति खेलकूद को बढ़ावा देने की सरकारी मंशा पर सवाल उठाती है।

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चेन्नई में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहाँ डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री खेलकूद पर जोर देने की बात कर रहे हैं, वहीं चेन्नई के उथंडी स्थित सरकारी हाई स्कूल के करीब 170 छात्र अपने इकलौते खेल के मैदान से महरूम हो गए हैं। वजह यह है कि चेन्नई कॉर्पोरेशन (GCC) ने शहर के सफाई कर्मचारियों के लिए एक रसोई बनाने के लिए स्कूल के मैदान पर कब्जा कर लिया है। स्कूल की दो एकड़ की जमीन पर वैसे भी बिल्डिंग और टॉयलेट बने हुए हैं, और खेलने के लिए सिर्फ 20 सेंट (लगभग 800 वर्ग मीटर) की जगह बची थी। पिछले हफ्ते से जब से निर्माण शुरू हुआ है, बच्चे फुटबॉल और कबड्डी नहीं खेल पा रहे हैं।

यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब शारीरिक शिक्षा संघों का कहना है कि हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों के लिए कम से कम एक एकड़ का खेल का मैदान होना जरूरी है। तमिलनाडु फिजिकल एजुकेशन टीचर्स एंड फिजिकल डायरेक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शंकरपेरुमल ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा, "चेन्नई में तो कई स्कूलों में 30 सेंट भी नहीं है। जो थोड़ी बहुत जगह बची है, उसे छीन लेना निंदनीय है।"
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के और भी बुरे नतीजे होंगे। उथंडी में आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) 'SOLVE' के अध्यक्ष डी चंद्रशेखरन ने बताया, "अगर यह रसोई बन गई, तो उथंडी और पनयूर के तटीय इलाकों के लोगों के पास बाढ़ के समय जाने के लिए कोई जगह नहीं बचेगी। स्कूल में लगातार गाड़ियों और कर्मचारियों की आवाजाही से पढ़ाई में भी खलल पड़ेगा।"

हालांकि, GCC के जोनल अधिकारी एम.पी. तनिकावेलन का कहना है कि उन्होंने यह जगह इसलिए चुनी क्योंकि यहां एक खाली बिल्डिंग थी। उन्होंने कहा, "कोई नई बिल्डिंग नहीं बन रही है। बस पुरानी बिल्डिंग को जोड़ा जा रहा है और आने-जाने के लिए रास्ते ठीक किए जा रहे हैं।" उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि बच्चों के लिए एक वैकल्पिक खेल का मैदान की व्यवस्था की जाएगी। मजेदार बात यह है कि रसोई GCC बना रही है, लेकिन स्कूल सरकारी है। चेन्नई के मुख्य शिक्षा अधिकारी के दफ्तर के अधिकारियों का कहना है कि GCC ने उन्हें इस प्रोजेक्ट के बारे में कोई जानकारी ही नहीं दी है।

यह स्थिति शिक्षा मंत्री के खेलकूद को बढ़ावा देने के वादे पर सवाल खड़े करती है। एक तरफ सरकार चाहती है कि बच्चे खेलें-कूदें, वहीं दूसरी तरफ उनके खेलने की जगह छीन ली जा रही है। यह मामला दिखाता है कि जमीनी हकीकत और सरकारी योजनाओं के बीच कितना बड़ा फासला है। बच्चों का बचपन और उनका शारीरिक विकास दांव पर लगा है, और इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।

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