धर्मेंद्र: एक अभिनेता, एक इंसान, एक याद

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हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के निधन पर एक पत्रकार ने अपने अनमोल अनुभव साझा किए हैं। पत्रकार ने धर्मेंद्र के पैतृक गांव सहनेवाल में उनके साथ समय बिताया था। धर्मेंद्र ने पत्रकार का खास ख्याल रखने का निर्देश दिया था। यह घटना धर्मेंद्र के मानवीय पक्ष और अपनेपन को दर्शाती है।

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धर्मेंद्र की यादें : एक पत्रकार का दिल छू लेने वाला अनुभव

हाल ही में हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के निधन से पूरा देश गमगीन है। ऐसे में, एक पत्रकार ने धर्मेंद्र के साथ बिताए अपने कुछ अनमोल पलों को साझा किया है, जो उनके मानवीय पक्ष और कलात्मक गहराई को उजागर करते हैं। यह अनुभव 2010 के अंत का है, जब पत्रकार धर्मेंद्र पर एक बायोपिक टीवी शो के लिए उनके पैतृक गांव सहनेवाल गए थे। धर्मेंद्र ने अपने एक पुराने दोस्त से पत्रकार और उनके सहकर्मी का ख्याल रखने को कहा था, और खास तौर पर एक स्थानीय मिठाई का स्वाद चखने का निर्देश दिया था। पत्रकार को धर्मेंद्र की यह चिंता और अपनापन तब भी महसूस हुआ था, जब उन्होंने धर्मेंद्र का इंटरव्यू लिया था। धर्मेंद्र सिर्फ एक बड़े स्टार ही नहीं, बल्कि एक बेहद संवेदनशील और विचारशील इंसान थे।
सहनेवाल की यादें और धर्मेंद्र का अपनापन

पत्रकार बताते हैं कि जब वे धर्मेंद्र के गांव सहनेवाल पहुंचे, तो धर्मेंद्र के एक बुजुर्ग दोस्त ने उन्हें बताया कि धर्मेंद्र ने खास तौर पर कहा था, 'हमारी मुन्नी आ रही है। उसका ख्याल रखना।' यह बात धर्मेंद्र ने तब कही थी जब पत्रकार उनके गांव में उनके बचपन की यादों को जानने पहुंचे थे। धर्मेंद्र ने अपने दोस्त को सिर्फ रास्ता दिखाने और घुमाने-फिराने का ही नहीं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि वे एक खास स्थानीय मिठाई का स्वाद जरूर लें। पत्रकार ने शुरू में मना किया, लेकिन उस बुजुर्ग ने जोर देकर कहा कि धर्मेंद्र फिर फोन करके पूछेंगे कि मिठाई खाई या नहीं। यह बात पत्रकार को हैरान नहीं कर पाई, क्योंकि वे धर्मेंद्र के साथ पहले भी काम कर चुके थे और उनके अपनेपन को महसूस कर चुके थे।

कैमरे के पीछे का धर्मेंद्र: एक सच्चा इंसान

पत्रकार ने धर्मेंद्र के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि धर्मेंद्र सिर्फ एक चार्मिंग स्टार ही नहीं थे, बल्कि उससे कहीं बढ़कर थे। उन्होंने कहा कि बुद्धिमान सितारे जानते हैं कि उनका लोगों पर कितना असर होता है। प्रसिद्धि का मनोवैज्ञानिक प्रभाव ऐसा होता है कि पहली मुलाकात में एक सनकी इंसान भी उनके प्रति सकारात्मक हो जाता है। लेकिन जब यह मुलाकात लंबी हो जाती है, तो कभी-कभी मुखौटे उतर जाते हैं और अनजाने में कुछ बातें निकल जाती हैं। पत्रकार ने यह भी देखा कि धर्मेंद्र के ड्राइंग रूम में उनके चेहरे वाली कुशन रखी थीं, लेकिन जो बात उनके दिल में रह गई, वह यह थी कि कैमरे बंद होने के बाद भी धर्मेंद्र का अपनापन कम नहीं हुआ।

सनी देओल के लिए पिता का प्यार और 'गदर' का किस्सा

धर्मेंद्र के आकर्षण का एक बड़ा हिस्सा उनका सहज स्वभाव था। 2001 में, जब पत्रकार उनके बेटे सनी देओल पर एक मैगजीन प्रोफाइल लिख रहे थे, जो 'गदर' की सफलता पर आधारित थी, तब धर्मेंद्र ने बातचीत के अंत में बड़ी सादगी से कहा, 'बेटा, उसके बारे में अच्छा लिखना।' उन्होंने बताया कि सनी 'गदर' की सफलता से बहुत खुश था और वे नहीं चाहते थे कि कुछ भी उस पल को खराब करे। यह बात धर्मेंद्र के पिता प्रेम को दर्शाती है।

राजनीति और कला का संगम: एक जटिलता

धर्मेंद्र के निधन के बाद, पत्रकार को खुशी के साथ-साथ एक अजीब सी उदासी भी महसूस हो रही है। यह उदासी उनके फिल्मों से मिले आनंद, उनके साथ बिताए सुखद पलों और एक बात को लेकर है, जो उन्हें थोड़ी भ्रमित करती है - कि वे एक दक्षिणपंथी राजनीतिक दल का हिस्सा थे। यह भावना तब और बढ़ जाती है जब उन्हें धर्मेंद्र का एक जवाब याद आता है। धर्मेंद्र, जिन्हें अक्सर 'मसल मैन' के तौर पर जाना जाता था, ने एक इंटरव्यू में अपने शुरुआती सपनों के बारे में पूछे जाने पर एक काव्यात्मक और उर्दू से भरे शब्दों में जवाब दिया था।

असंभव सपनों को पूरा करने की कहानी

धर्मेंद्र ने कहा था, 'अन्ना, हर इंसान का, हर बच्चे का एक सपना होता है। बचपन में मैंने सपनों की रूपरेखा खींची। जवानी में मैंने उन्हें रंगों से भरना शुरू किया। और जैसे-जैसे मैं युवा हुआ, मुझे फिल्मों का जुनून सवार हो गया। तो, मैंने असंभव सपने देखना शुरू कर दिया। एक अभिनेता बनना बहुत मुश्किल है, लेकिन शायद यह सपना मेरी हर सांस में था, शायद मेरी दिल की धड़कनों ने उस सर्वशक्तिमान की नींद खराब कर दी थी - उस दुर्भाग्यशाली सर्वशक्तिमान की - और उसने अपनी कलम से लिखा होगा, 'इस पागल आदमी के सपने सच हों। उसके हर असंभव सपने भी पूरे हों।' और मेरे असंभव सपने भी पूरे हुए।' यह जवाब धर्मेंद्र की कलात्मक गहराई और उनके सपनों को हकीकत में बदलने की उनकी लगन को दिखाता है।

'हमारी मुन्नी' का प्यार: एक यादगार पल

पत्रकार को यह भी याद है कि 2010 में जब वे धर्मेंद्र से मिले थे, उसके कुछ महीनों बाद, एक दिन जब पत्रकार ने किसी सवाल के लिए उन्हें फोन किया, तो धर्मेंद्र ने उन्हें टीवी पर देखकर तुरंत अपने आसपास के लोगों से कहा था, 'अरे, यह तो हमारी मुन्नी है!' यह बात धर्मेंद्र के अपनेपन और प्यार को दर्शाती है, जो उन्होंने पत्रकार के लिए महसूस किया था। यह एक ऐसा पल था जिसने पत्रकार के दिल पर गहरी छाप छोड़ी। धर्मेंद्र सिर्फ एक बड़े कलाकार ही नहीं थे, बल्कि एक ऐसे इंसान थे जिनका दिल बहुत बड़ा था और जो अपने आसपास के लोगों को हमेशा खास महसूस कराते थे। उनकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी।

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