गोवा मेडिकल कॉलेज पीजी प्रवेश: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, आरक्षण नियमों में बदलाव पर रोक

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मुंबई हाई कोर्ट ने गोवा मेडिकल कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएट एडमिशन को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ किया है कि 2025-26 सत्र के एडमिशन पुराने नियमों के तहत ही होंगे। आरक्षण नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। यह फैसला छात्रों के हित में है और एडमिशन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा।

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मुंबई हाई कोर्ट ने गोवा मेडिकल कॉलेज (GMC) में पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल डिग्री कोर्स के लिए 2025-26 शैक्षणिक सत्र के एडमिशन और काउंसलिंग प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि एडमिशन प्रक्रिया उसी नियमों के तहत होगी जो 3 नवंबर, 2025 को जारी विज्ञापन में थे। आरक्षण के नियमों में 2023 से लागू व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। यह फैसला 27 MBBS ग्रेजुएट्स की याचिका पर आया है, जो GMC में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स करना चाहते थे।

याचिकाकर्ताओं, जिन्हें एडवोकेट्स D Lawande और Jay Mathew ने रिप्रेज़ेंट किया, ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि एडमिशन प्रक्रिया के बीच में नियमों में बदलाव न हो। उन्हें डर था कि नियमों में बदलाव से उनकी सीट मिलने की संभावनाओं पर बुरा असर पड़ेगा। कोर्ट ने उनकी चिंता को "काफी जायज" माना। कोर्ट ने कहा कि यह "स्पष्ट" है कि अधिकारी नियमों को बदलने की प्रक्रिया में हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि "इस स्तर पर, यदि नियमों को बदला जाता है, तो उनके द्वारा पहले से की गई पसंद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और उन्हें अपूरणीय क्षति होगी।"
जस्टिस Sarang V Kotwal और Ashish S Chavan की डिवीज़न बेंच ने कहा कि विज्ञापन का आखिरी हिस्सा "काफी अस्पष्ट" था। कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवारों को यह सोचने पर मजबूर नहीं किया जाना चाहिए कि चयन प्रक्रिया के बाकी हिस्सों के दौरान कौन से नियम लागू होंगे। कोर्ट ने इसे "मनमानापन" बताया।

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने गोवा यूनिवर्सिटी के गोवा मेडिकल कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री और डिप्लोमा कोर्स के लिए एडमिशन के गोवा (नियम) 2024 के तहत आवेदन किया था। हालांकि, विज्ञापन में यह भी लिखा था कि "नियम, काउंसलिंग का शेड्यूल, पात्रता, मेरिट और अलॉटमेंट लिस्ट आदि DTE वेबसाइट पर अधिसूचित किए जाएंगे, जिसे सभी आवेदक नियमित रूप से देखें।" याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 1 दिसंबर, 2025 तक केवल काउंसलिंग बाकी है और अब तक नियमों में बदलाव की कोई सूचना नहीं आई है। इसके बावजूद, उन्हें नियमों में बदलाव का डर सता रहा था, जिससे सभी उम्मीदवारों की संभावनाएं बदल सकती थीं।

उन्होंने RTI के तहत यह जानकारी हासिल की थी कि अधिकारी GMC में 2025-26 के पोस्ट ग्रेजुएट एडमिशन के लिए 100-पॉइंट रोस्टर आरक्षण प्रणाली के रूप में आरक्षण शुरू करने के लिए नियमों में संशोधन के प्रस्तावों पर काम कर रहे हैं। इस पर एडवोकेट जनरल Devidas Pangam ने कहा कि सामाजिक न्याय के हित में नियमों को बदलना जरूरी है।

कोर्ट ने इस मामले में स्पष्टता लाते हुए कहा कि एडमिशन प्रक्रिया में किसी भी तरह का बदलाव नहीं होगा। यह फैसला उन सभी छात्रों के लिए राहत की खबर है जो GMC में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स करना चाहते हैं। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष रहे। नियमों में बदलाव की आशंका को कोर्ट ने गंभीरता से लिया और भविष्य में ऐसी अनिश्चितता से बचने के निर्देश दिए।

यह मामला दिखाता है कि कैसे कोर्ट छात्रों के हितों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप कर सकता है। एडमिशन प्रक्रिया में नियमों का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है, यह इस फैसले से साफ होता है। छात्रों को किसी भी तरह की अनिश्चितता का सामना न करना पड़े, इसके लिए कोर्ट ने यह अहम कदम उठाया है।

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