निजी संस्थाएं संभालेंगी सरकारी गोआश्रय स्थल

नवभारत टाइम्स
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लखनऊ में सरकारी गोआश्रय स्थलों के संचालन की जिम्मेदारी अब निजी संस्थाओं को सौंपी जाएगी। सरकार ने इसके लिए पीपीपी मोड का खाका तैयार कर लिया है। जल्द ही संस्थाओं से आवेदन मांगे जाएंगे। चयनित संस्थाओं को प्रति पशु प्रतिदिन 50 रुपये की भरण-पोषण राशि सरकार देगी। प्रदेश में 7,560 गोआश्रय स्थल हैं जिनमें 12.35 लाख पशु संरक्षित हैं।

निजी संस्थाएं संभालेंगी सरकारी गोआश्रय स्थल
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब प्रदेश के गोआश्रय स्थलों को निजी संस्थाओं के हवाले करने की तैयारी में है। सरकार ने इन गोआश्रय स्थलों को PPP (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर चलाने का पूरा खाका तैयार कर लिया है। जल्द ही इच्छुक संस्थाओं से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) यानी अपनी रुचि जाहिर करने के लिए आवेदन मांगे जाएंगे। आवेदन करने वाली संस्थाओं में से योग्य संस्थाओं का चयन कर उन्हें गोआश्रय स्थलों के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

फिलहाल प्रदेश में कुल 7,560 गोआश्रय स्थल हैं, जिनमें करीब 12.35 लाख बेसहारा पशुओं को आश्रय दिया जा रहा है। इनमें 400 बड़े गोआश्रय स्थल हैं और कुछ अभी निर्माणाधीन हैं। उम्मीद है कि जल्द ही बड़े गोआश्रय स्थलों की संख्या बढ़कर 525 हो जाएगी। इसके अलावा, मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1.80 लाख पशुओं को लोगों को गोद दिया गया है। इन पशुओं के भरण-पोषण के लिए सरकार पशुपालकों को प्रति पशु 50 रुपये प्रतिदिन की दर से आर्थिक सहायता भी दे रही है।
अब सरकार यही मॉडल निजी संस्थाओं के लिए भी अपनाने जा रही है। जब गोआश्रय स्थलों का संचालन निजी संस्थाओं को सौंपा जाएगा, तो सरकार उन्हें भी प्रति पशु 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भरण-पोषण राशि देगी। यह वही राशि है जो सरकार अभी सीधे खर्च कर रही है। इस योजना के तहत धार्मिक संस्थाएं, एनजीओ (गैर-सरकारी संगठन), एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) और निजी कंपनियां भी आवेदन कर सकती हैं। सरकार का यह कदम गोवंश संरक्षण को और मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम पहल मानी जा रही है। इससे गोआश्रय स्थलों के प्रबंधन में सुधार होने और बेसहारा पशुओं की बेहतर देखभाल होने की उम्मीद है।

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