लिव-इन रिलेशन कानून को रद्द करने की मांग

नवभारत टाइम्स
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रेवाड़ी में आर्य समाज ने लिव-इन रिलेशनशिप को समाज के लिए चिंताजनक बताया। साधु-संतों और महिलाओं ने सम्मेलन में भाग लिया। लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ। न्यायालय से ऐसे रिश्तों को संरक्षण देने वाले कानून को रद्द करने की मांग की गई। जिले की अन्य संस्थाओं से भी ऐसे प्रस्ताव पारित करने की अपील की गई है।

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रेवाड़ी में आर्य समाज ने लिव-इन रिलेशनशिप को समाज के लिए चिंता का विषय बताते हुए इसके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है। आर्य समाज के नेताओं और साधु-संतों ने नगर के सेक्टर-3 में आयोजित एक सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया कि ऐसे रिश्ते पारंपरिक विवाह की मर्यादाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने न्यायपालिका द्वारा ऐसे रिश्तों को संरक्षण देने पर भी चिंता जताई और मांग की कि इस संबंध में बनाए गए कानूनों को रद्द किया जाए। इस सम्मेलन में महिलाओं की भी बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।

आर्य समाज के प्रधान बुद्धदेव आर्य और श्रीभगवान यादव ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप जैसी प्रथाएं हमारे देश में विवाह जैसी पवित्र संस्था के लिए खतरा हैं। उन्होंने बताया कि विवाह में प्रेम, जिम्मेदारी और मर्यादाएं होती हैं, लेकिन लिव-इन रिलेशनशिप इन मूल्यों से दूर है। यह समाज में गलत संदेश दे रहा है।
सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप को एक कुरीति बताया गया। इस प्रस्ताव में न्यायालय से ऐसे रिश्तों को संरक्षण देने वाले कानूनों को वापस लेने की मांग की गई। आर्य समाज के नेताओं ने जिले की अन्य संस्थाओं से भी ऐसे प्रस्ताव पारित कर इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाने की अपील की।

साधु-संतों ने इस बात पर भी दुख व्यक्त किया कि आज के युवा ऐसे रिश्तों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उनका मानना है कि यह समाज की नैतिक मूल्यों के पतन का संकेत है। उन्होंने कहा कि ऐसे रिश्ते दाम्पत्य जीवन में जहर घोल रहे हैं और पारंपरिक पारिवारिक व्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं।

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