जीडीए के आवंटित प्लॉट पर कूड़ा डंप कर रहा निगम

नवभारत टाइम्स
Subscribe

जीडीए के इंदिरापुरम विस्तार योजना में प्लॉट खरीदारों को परेशानी हो रही है। नगर निगम इन भूखंडों पर कूड़ा डाल रहा है। बिल्डरों ने शिकायतें की हैं, लेकिन समाधान नहीं हुआ है। प्लॉट आवंटित हुए 10-12 महीने बीत चुके हैं। योजना में बिजली और सीवर की व्यवस्था भी नहीं की गई है।

gdas plot used for garbage dumping by municipal corporation increased difficulties for builders and allottees
जीडीए की इंदिरापुरम विस्तार योजना में प्लॉट खरीदने वाले खरीदार और बिल्डर परेशान हैं। नगर निगम इन खाली प्लॉटों पर लगातार कूड़ा फेंक रहा है। बिल्डरों का कहना है कि उन्होंने कई बार शिकायत की है, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन देकर टाल दिया जाता है। ट्रांस हिंडन बिल्डर वेलफेयर असोसिएशन के चेयरमैन प्रदीप गुप्ता ने सोमवार को जीडीए वीसी नंद किशोर कलाल से मिलकर अपनी समस्या बताई। उन्होंने कहा कि नगर निगम ने अभी तक कूड़ा फेंकना बंद नहीं किया है, और जीडीए भी इसे रोक नहीं पा रहा है।

इसके अलावा, इस योजना में अभी तक बिजली और सीवर की व्यवस्था भी नहीं हुई है। प्लॉट खरीदे हुए 10 से 12 महीने बीत चुके हैं। जीडीए ने ये प्लॉट नीलामी में बेचे थे। तब से खरीदारों से लगातार पैसे के साथ ब्याज भी वसूला जा रहा है। जीडीए का काम पूरा न होने की वजह से बिल्डर वहां बिल्डिंग नहीं बना पा रहे हैं।
बिल्डरों का कहना है कि नगर निगम का कूड़ा फेंकना एक बड़ी समस्या है। यह न केवल गंदगी फैलाता है, बल्कि उनके काम में भी बाधा डालता है। वे चाहते हैं कि जीडीए इस मामले में तुरंत कार्रवाई करे और नगर निगम को कूड़ा फेंकने से रोके। साथ ही, बिजली और सीवर जैसी बुनियादी सुविधाओं को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि वे निर्माण कार्य शुरू कर सकें।

प्रदीप गुप्ता ने जीडीए वीसी को बताया कि "नगर निगम ने अभी तक इंदिरापुरम विस्तार योजना में कूड़ा डालना बंद नहीं किया है। नगर निगम लगातार कूड़ा डाल रहा है, जिसे जीडीए भी बंद नहीं करवा पाया है।" उन्होंने यह भी कहा कि "इसके अलावा अभी तक योजना में न तो बिजली की व्यस्था की गई है और न ही सीवर की व्यवस्था की गई है, जबकि प्लॉट आंवटित किए हुए 10 से 12 महीनें बीत चुके हैं।"

जीडीए ने ये प्लॉट नीलामी में बेचे थे। तब से खरीदारों से लगातार पेमेंट के साथ ब्याज भी लगाया जा रहा है। जीडीए का काम पूरा नहीं होने के कारण बिल्डर बिल्डिंग नहीं बना पा रहे हैं। यह स्थिति खरीदारों और बिल्डरों दोनों के लिए चिंताजनक है।

अगला लेख

Storiesकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर