Doctors Strike In Gurgaon Civil Hospital Patients Wait Hours For Treatment
'जैसे-तैसे पर्ची तो कटी, लेकिन घंटों तक नहीं मिल सका इलाज'
नवभारत टाइम्स•
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गुड़गांव के सिविल अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज परेशान हुए। एसएमओ की सीधी भर्ती की मांग को लेकर डॉक्टर काम पर नहीं आए। मरीजों को पर्ची कटने के बाद भी घंटों इलाज का इंतजार करना पड़ा। अव्यवस्था के बीच इंटर्न डॉक्टरों ने कुछ मरीजों का उपचार किया।
गुड़गांव में सोमवार को सिविल अस्पताल के डॉक्टर एसएमओ (सीनियर मेडिकल ऑफिसर) की सीधी भर्ती के विरोध में हड़ताल पर रहे। इस वजह से मरीजों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) खुलने के साथ ही मरीजों की लंबी कतारें लग गईं, लेकिन डॉक्टर नदारद थे। मरीजों को इंटर्न डॉक्टरों से इलाज करवाना पड़ा। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज असोसिएशन के आह्वान पर प्रदेश भर के सरकारी डॉक्टर दो दिन की हड़ताल पर हैं। गुड़गांव में करीब 300 डॉक्टरों में से 200 से ज्यादा हड़ताल पर हैं। उनकी मुख्य मांगें एसएमओ की सीधी भर्ती रोकना और संशोधित एसीपी (एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन) लागू करना है। हालात संभालने के लिए आयुष और NRHM के डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई, लेकिन मरीजों की भारी संख्या के आगे यह व्यवस्था नाकाफी साबित हुई।
सोमवार को सिविल अस्पताल में मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। सुबह जल्दी आकर लाइन में लगकर पर्ची कटवाने वाले अंजलि, ललन पासवान, अमन, तुलसी देवी जैसे कई मरीजों को डॉक्टर के कमरे में सन्नाटा मिला। वे एक कमरे से दूसरे कमरे भटकते रहे या सूचना काउंटर के बाहर खड़े होकर इंतजार करते रहे। अव्यवस्था को देखते हुए मरीजों को इंटर्न डॉक्टरों से इलाज करवाना पड़ा, तब जाकर उन्हें कुछ राहत मिली।यह हड़ताल हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज असोसिएशन के आह्वान पर पूरे प्रदेश में चल रही है। सरकारी डॉक्टर दो दिनों के लिए काम बंद कर रहे हैं। गुड़गांव में तैनात करीब 300 डॉक्टरों में से 200 से ज्यादा इस हड़ताल में शामिल हैं।
डॉक्टरों की मुख्य मांगें एसएमओ (सीनियर मेडिकल ऑफिसर) के पद पर सीधी भर्ती का विरोध करना है। वे चाहते हैं कि इन पदों पर प्रमोशन के जरिए ही नियुक्ति हो। इसके अलावा, वे संशोधित एसीपी (एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन) को लागू करने की मांग कर रहे हैं। एसीपी एक ऐसी व्यवस्था है जो सरकारी कर्मचारियों को निश्चित अंतराल पर वेतन वृद्धि का लाभ देती है।
हड़ताल के कारण मरीजों को हो रही परेशानी को कम करने के लिए आयुष विभाग और NRHM (नेशनल रूरल हेल्थ मिशन) के डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई थी। हालांकि, मरीजों की संख्या के मुकाबले यह व्यवस्था काफी कमजोर साबित हुई। मरीजों को लंबे समय तक इलाज के लिए इंतजार करना पड़ा और उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
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