बिल्डर ओसवाल की गिरफ्तारी के बाद MBMC पर उठ रहे सवाल

नवभारत टाइम्स
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बिल्डर उमरावसिंह ओसवाल की गिरफ्तारी से एम बी एम सी सवालों के घेरे में है। फर्जी बिल्डिंग और धोखाधड़ी के मामले में नगर रचना विभाग और मनपा अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। ओसवाल पर कई एफआईआर दर्ज हैं, फिर भी कार्रवाई नहीं हुई। अधिकारियों की मिलीभगत से घोटाले को बढ़ावा मिला।

बिल्डर ओसवाल की गिरफ्तारी के बाद MBMC पर उठ रहे सवाल
(फोटो- नवभारत टाइम्स)

मुंबई : फर्जी बिल्डिंग और करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के मामले में बिल्डर उमरावसिंह ओसवाल की गिरफ्तारी के बाद अब नगर रचना विभाग और मनपा अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। ओसवाल पर दर्जनों एफआईआर दर्ज होने के बावजूद संबंधित अधिकारियों की चुप्पी से शक हो रहा है कि प्रशासन की लापरवाही से इस घोटाले को बढ़ावा दिया गया है।

गिरफ्तारी से बचने के लिए भागने की फिराक में था ओसवाल

बता दें कि ओसवाल पर 27 साल में 14 आपराधिक मामले (ताजा मामले सहित) दर्ज हुए, लेकिन कभी गिरफ्तारी नहीं हुई। सूत्रों के अनुसार, उसका लगातार बच निकलना मनपा के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं था। फ्लैट मालिकों का कहना है कि अधिकारियों की चुप्पी और संरक्षण ने ओसवाल को लंबे समय तक कानून से बचने का मौका दिया। बताया जा रहा है कि ओसवाल गिरफ्तारी से बचने के लिए भागने की फिराक में था।

धोखाधड़ी में नगर रचना के संबंधित अधिकारी भी जिम्मेदार

शिकायतकर्ता रंजीत झा का कहना है, ‘ओसवाल की धोखाधड़ी में नगर रचना के संबंधित अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। उन्होंने समय रहते कार्रवाई नहीं की। आज सैकड़ों फ्लैटधारकों का जीवन और उनकी पूंजी डूबने के कगार पर है।’ ताजा मामले में ओसवाल ने चार मंज़िला इमारतों की परमिशन के बावजूद पांच, छह और सात मंज़िला इमारतें बना डालीं। इस दौरान, उसने नकली नक्शे, फर्जी परमिट और मनपा अधिकारियों के सिग्नेचर का दुरुपयोग किया।

अब तक 14 मामले हैं दर्ज

ओसवाल पर अब तक दर्ज 14 मामलों में अवैध इमारत निर्माण, फर्जी परमिशन और UDCPR कानून के तहत अतिरिक्त फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) का दुरुपयोग शामिल है। पुलिस ने मुख्य आरोपी ओसवाल के साथ उसके पुत्र कुलदीप ओसवाल और वास्तु विशेषज्ञों को भी जांच के दायरे में लिया है।


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