मंगलुरु सिटी कॉर्पोरेशन (MCC) के कमिश्नर रविचंद्र नाइक ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, नगर पालिकाओं को सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को हटाना होगा और नसबंदी व टीकाकरण के बाद उन्हें डॉग पाउंड में भेजना होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रेबीज से पीड़ित या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को नहीं छोड़ा जाएगा। शहर निगम, एनिमल केयर ट्रस्ट के माध्यम से एमसीसी सीमा के भीतर एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) कार्यक्रम चला रहा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि "शहर की सीमा के भीतर डॉग पाउंड स्थापित करने के लिए जगह की कमी है। जैसे ही आवारा कुत्तों को रखने के लिए उपयुक्त जमीन मिल जाती है, शहर निगम उस सुविधा के लिए कर्मचारियों और संसाधनों की तैनाती करेगा।"एमएलसी मंजूनाथ भंडारी ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों के आसपास के इलाकों से आवारा कुत्तों को हटाने के उपाय किए जाने चाहिए। पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक डॉ. अरुण कुमार शेट्टी ने बताया कि कुंपला में 60 वर्षीय व्यक्ति पर हमला करने वाले कुत्ते को पकड़कर ट्रस्ट शेल्टर भेज दिया गया था, लेकिन बाद में उसकी मौत हो गई। रेबीज की जांच के लिए उसके नमूने प्रयोगशाला में भेजे गए हैं।
मुआवजे के सवाल पर, एमएलसी डिसूजा ने पूछा कि क्या कुत्तों के काटने से होने वाली मौतों के लिए कोई मुआवजा है। इस पर डॉ. अरुण ने बताया कि चोट लगने के मामलों में 5,000 रुपये दिए जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में, कुत्तों के हमले से होने वाली मौतों के लिए 5 लाख रुपये तक का मुआवजा स्वीकृत किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि शहरी इलाकों के लिए ऐसी कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है।
उपायुक्त दर्शन एचवी ने कहा कि वह शहरी विकास विभाग के कमिश्नर से मुआवजे की नीति के बारे में बात करेंगे। मंत्री ने डीसी और जिला पंचायत सीईओ नरवाडे विनायक कारभरी को सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को हटाने के लिए डॉग पाउंड स्थापित करने की योजना बनाने और उस पर चर्चा करने का निर्देश दिया। मंत्री ने अधिकारियों को सड़कों के किनारे अवैध कचरा डंपिंग पर प्रभावी ढंग से रोक लगाने और उचित स्वच्छता सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
यह घटना आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या और उससे निपटने के लिए सरकारी तंत्र की तैयारियों पर सवाल खड़े करती है। शहर में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे आम लोगों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है। डॉग पाउंड की स्थापना और एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) कार्यक्रमों का विस्तार इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। साथ ही, शहरी इलाकों में भी कुत्तों के हमलों से होने वाली मौतों और चोटों के लिए स्पष्ट मुआवजा नीति बनाना जरूरी है।

