दुहाई डिपो में एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 70 मीटर ट्रैक पर 28 सोलर पैनल लगाए गए हैं। ये पैनल हर साल करीब 17,500 किलोवाट-घंटे (kWh) बिजली पैदा करेंगे। इससे नमो भारत ट्रेनों को चलाने में मदद मिलेगी और हर साल लगभग 16 टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का उत्सर्जन कम होगा। NCRTC इस प्रोजेक्ट को पूरे कॉरिडोर में फैलाने की योजना बना रहा है, लेकिन पहले पायलट प्रोजेक्ट के नतीजों का इंतजार करेगा।NCRTC के एक अधिकारी ने बताया कि इस सिस्टम से "ऐसी ट्रैक की जगह का इस्तेमाल हो रहा है जो पहले इस्तेमाल नहीं हो रही थी"। यह पहल NCRTC के नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy) को बढ़ावा देने के लक्ष्य के अनुरूप है। यह राष्ट्रीय सौर मिशन के उद्देश्यों को भी पूरा करती है।
फिलहाल, नमो भारत ट्रेनें हर साल करीब 326 मिलियन यूनिट बिजली इस्तेमाल करती हैं, जिस पर लगभग 250 करोड़ रुपये सालाना खर्च आता है। बिजली का खर्च कुल परिचालन खर्च का 30-35% है, इसलिए बिजली की बचत करना NCRTC के लिए बहुत ज़रूरी हो गया है।
कॉरिडोर के बाकी बचे हिस्से के चालू होने की बात करें तो, अधिकारियों ने बताया कि ट्रायल रन पूरे हो चुके हैं। अब अंतिम फैसला ऊपर के अधिकारी करेंगे। एक अधिकारी ने कहा, "हमें लगता है कि पूरा कॉरिडोर दिसंबर के अंत तक चालू हो सकता है।"
अभी नमो भारत ट्रेनें 55 किलोमीटर के रूट पर चल रही हैं, जो न्यू अशोक नगर से मेरठ साउथ तक है। इस रूट पर 11 स्टेशन हैं: न्यू अशोक नगर, आनंद विहार, साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई, दुहाई डिपो, मुरादनगर, मोदी नगर साउथ, मोदी नगर नॉर्थ और मेरठ साउथ। जब पूरा 82 किलोमीटर लंबा दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर चालू हो जाएगा, तो दिल्ली से मेरठ का सफर सिर्फ 55 मिनट में पूरा हो सकेगा। यह लोगों के लिए यात्रा को बहुत आसान और तेज बना देगा।

