GST धोखाधड़ी का भंडाफोड़: 800 करोड़ का फर्जी इनवॉइस रैकेट, 4 गिरफ्तार

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जीएसटी विभाग ने 800 करोड़ रुपये के एक बड़े फर्जी इनवॉइस रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में चार मुख्य साजिशकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। यह रैकेट कई शहरों में फैला हुआ था। गिरोह शेल कंपनियों और फर्जी पहचान का इस्तेमाल कर रहा था।

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अहमदाबाद: जीएसटी विभाग ने एक बड़े फर्जी इनवॉइस रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसकी कीमत करीब 800 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इस मामले में चार मुख्य साजिशकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। यह रैकेट अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर, जूनागढ़, जामनगर, मुंबई और चंद्रपुर जैसे शहरों में फैला हुआ था। जांच में पता चला है कि यह एक संगठित गिरोह था जो शेल कंपनियों, फर्जी पहचान और वर्चुअल इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करके बिना किसी माल की खरीद-बिक्री के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का धोखाधड़ी से फायदा उठा रहा था।

सबसे बड़े मामले में, जिसमें 550 करोड़ रुपये के फर्जी इनवॉइस शामिल थे, जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) ने 27 नवंबर को अहमदाबाद से बदरे आलम पठान और तौफीक खान को गिरफ्तार किया। खान, जो ए एच इंजीनियरिंग वर्क्स का मालिक है, पर 45 करोड़ रुपये के फर्जी इनवॉइस खरीदने और 8.86 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले आईटीसी का दावा करने का आरोप है। अधिकारियों ने बताया कि ये दोनों, इकरम खान जैसे फरार आरोपियों के साथ मिलकर, फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके कई कंपनियां बनाईं, डमी डायरेक्टर नियुक्त किए और ऑनलाइन तरीके से पूरे नेटवर्क को चलाया ताकि यह लगे कि यह एक असली व्यापार है।
मुंबई, चंद्रपुर, अहमदाबाद, राजकोट और भावनगर में की गई तलाशी में अहम सबूत मिले हैं। इनमें शेल कंपनियों के रिकॉर्ड, मोबाइल फोन, विभिन्न जीएसटी रजिस्ट्रेशन से जुड़े सिम कार्ड, डिजिटल फाइलें, बैंक डिटेल्स और नकदी लेनदेन के लॉग शामिल हैं। राजेश कुमार, अतिरिक्त निदेशक, डीजीजीआई, अहमदाबाद जोनल यूनिट ने बताया, "इस सिंडिकेट ने सक्रिय जीएसटी नंबर वाली बंद पड़ी कंपनियों को खरीदा, उनके डायरेक्टर और पते बदले, बड़े पैमाने पर फर्जी इनवॉइस बनाए और हवाला के जरिए पैसे का लेन-देन किया। ये कंपनियां अहमदाबाद, राजकोट और महाराष्ट्र की आयरन और स्टील बनाने वाली फैक्ट्रियों को फर्जी इनवॉइस जारी करती थीं। अब इन फैक्ट्रियों की भी जांच की जा रही है कि कहीं उन्होंने टैक्स चोरी तो नहीं की।"

डीजीजीआई ने बंद पड़ी कंपनियों के मालिकों से आग्रह किया है कि वे अपनी जीएसटी रजिस्ट्रेशन किसी बिचौलिए को न दें। अगर उन्होंने अपना काम बंद कर दिया है, तो वे इसे मुफ्त में सरेंडर कर सकते हैं।

एक अलग मामले में, जूनागढ़ के भारत सैनिटरी एंड फिटिंग के पार्टनर हार्दिक रावल को 25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया। उस पर 47 डमी कंपनियों का नेटवर्क चलाने का आरोप है। अधिकारियों ने बताया कि उसने 110.57 करोड़ रुपये के फर्जी इनवॉइस पर 28.02 करोड़ रुपये का आईटीसी धोखाधड़ी से लिया, जबकि उसे कोई माल मिला ही नहीं था। डीजीजीआई ने कहा, "उसने कथित तौर पर 83.64 करोड़ रुपये के आउटवर्ड इनवॉइस जारी किए ताकि 20.24 करोड़ रुपये का फर्जी आईटीसी कई खरीदारों को मिल सके। इस ऑपरेशन में बिचौलिए, अंगड़िया चैनल (पारंपरिक कूरियर सेवा) और बैंकों के माध्यम से फंड ट्रांसफर शामिल था। डिजिटल सबूतों और स्वेच्छा से दिए गए बयानों ने उसकी भूमिका की पुष्टि की है।"

तीसरे मामले में, जामनगर के पीतल और स्टील व्यापार से जुड़े पटेल मेटल क्राफ्ट एलएलपी के पार्टनर जयदीप विरानी को 28 नवंबर को गिरफ्तार किया गया। उस पर 121 करोड़ रुपये के फर्जी इनवॉइस के आधार पर 22 करोड़ रुपये का अमान्य आईटीसी लेने का आरोप है। ये इनवॉइस 40 से अधिक गैर-मौजूद कंपनियों द्वारा जारी किए गए थे। जामनगर और राजकोट में हुई तलाशी में चेकबुक, दस्तावेज, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और अन्य सबूत मिले। अधिकारियों ने बताया कि जामनगर की कई कंपनियों को कबाड़, पीतल और स्टेनलेस स्टील उत्पादों की अनधिकृत बिक्री को छिपाने के लिए फर्जी इनवॉइस का इस्तेमाल करते पाया गया।

सीजीएसटी एक्ट की धारा 132 के तहत 5 करोड़ रुपये से अधिक के धोखाधड़ी वाले आईटीसी दावे एक गंभीर आर्थिक अपराध हैं। इसमें पांच साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है। ये अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हैं। डीजीजीआई ने कहा कि विभिन्न स्थानों से जब्त किए गए भारी सबूतों की जांच की जा रही है ताकि व्यापक नेटवर्क का पता लगाया जा सके और असली लाभार्थियों की पहचान की जा सके। यह रैकेट दिखाता है कि कैसे कुछ लोग सिस्टम का गलत फायदा उठाकर देश को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। जीएसटी विभाग ऐसे अपराधों पर कड़ी कार्रवाई कर रहा है।

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