ओडिशा से माओवादियों का सफाया: BSF का 2026 तक का लक्ष्य, जानें पूरी रणनीति

THE ECONOMIC TIMES
Subscribe

बीएसएफ ने ओडिशा को मार्च 2026 तक माओवादियों से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के साथ मिलकर टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है। कंधमाल जिले में जवानों की तैनाती की गई है। अब तक 86 माओवादियों को मार गिराया गया है और 710 को गिरफ्तार किया गया है।

elimination of maoists from odisha bsfs target by 2026 know the complete strategy
ओडिशा से माओवादियों का सफाया करने के लिए BSF ने कमर कस ली है। BSF के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मार्च 2026 तक ओडिशा को माओवादियों से पूरी तरह मुक्त करना उनका एक बड़ा लक्ष्य है। यह अभियान ओडिशा पुलिस और अन्य केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ मिलकर चलाया जा रहा है। इस अभियान में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है और खास जगहों पर कार्रवाई की जा रही है।

BSF के IG शिव आधार श्रीवास्तव ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हम ओडिशा पुलिस और अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के साथ मिलकर टेक्नोलॉजी-संचालित, सटीक कार्रवाई और सार्थक अभियानों के ज़रिए मार्च 2026 तक राज्य से माओवादियों का सफाया करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि पहले माओवादियों का गढ़ माने जाने वाले 'कट-ऑफ' इलाके को 'स्वाभिमान अंचल' में बदलना उनकी एक बड़ी सफलता है।
अब BSF के जवानों को कंधमाल जिले में तैनात किया गया है। नए यूनिट्स बनाए गए हैं और मुश्किल इलाकों में माओवादियों के खिलाफ लंबे समय तक चलने वाले ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। BSF साल 2010 से ओडिशा में माओवाद विरोधी अभियान चला रही है। फिलहाल, राज्य के कोरापुट, मलकानगिरी, बौध, कालाहांडी, कंधमाल, रायगढ़ा और नबरंगपुर जिलों में BSF की छह बटालियन तैनात हैं।

अब तक के अभियानों में BSF ने बड़ी सफलता हासिल की है। 86 माओवादियों को मार गिराया गया है, 710 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया है और 2,508 माओवादियों और उनके समर्थकों ने आत्मसमर्पण किया है। इसके अलावा, 566 IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) और जिंदा बमों को निष्क्रिय किया गया है। IED एक तरह का बम होता है जिसे कहीं भी छिपाकर रखा जा सकता है।

BSF अधिकारी ने बताया कि ये ऑपरेशन राज्य पुलिस से मिली खास खुफिया जानकारी के आधार पर चलाए जा रहे हैं। खासकर, उन रास्तों को बंद किया जा रहा है जिनका इस्तेमाल माओवादी पड़ोसी राज्यों छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश से ओडिशा में घुसने के लिए करते हैं। जवानों की तैनाती से माओवादी कमजोर हुए हैं और उन्हें पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटना पड़ा है।

श्रीवास्तव ने कहा, "हमारी प्रतिबद्धता बहुत व्यापक रही है। युद्ध के मैदान से परे, हम मानते हैं कि उग्रवाद के खिलाफ सबसे बड़ी ढाल स्थानीय आबादी का विश्वास और समृद्धि है।" उन्होंने बताया कि BSF ने कई ऑपरेशन चलाए हैं और साथ ही कई नागरिक कार्रवाई और आदिवासी युवा विनिमय कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं।

श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि राज्य सरकार की आत्मसमर्पण नीति, जिसमें 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जाती है, माओवादियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

हालांकि, अभी भी कुछ चुनौतियां बाकी हैं। कालाहांडी, कंधमाल और बौध के घने जंगलों में माओवादियों की मौजूदगी और IED का खतरा बना हुआ है। इसके अलावा, माओवादियों से जुड़े नशीले पदार्थों की तस्करी और गांजा की खेती का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव भी एक बाधा है, जैसा कि एक अन्य BSF अधिकारी ने बताया। BSF इस साल 1 दिसंबर को अपना 61वां स्थापना दिवस मनाने जा रही है।

अगला लेख

Storiesकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर