कॉलेज SC/ST सेल की बदहाली: विश्वविद्यालयों में सुस्त व्यवस्था पर चिंता

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भरत‍िदासन यूनिवर्सिटी में हुई बैठक में कॉलेजों के SC/ST सेल की निष्क्रियता पर चिंता जताई गई। विश्वविद्यालयों में गैर-शिक्षण पदों पर SC/ST रोस्टर नियमों का पालन नहीं हो रहा है। छात्रों की राय को भी शामिल करने की जरूरत है। यह सेल केवल NAAC निरीक्षण के दौरान सक्रिय होता है। इस व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है।

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भरत िदासन यूनिवर्सिटी (BDU) में शनिवार को आयोजित SC/ST संपर्क अधिकारियों की बैठक में यह बात सामने आई कि राज्य विश्वविद्यालयों से जुड़े ज्यादातर कॉलेजों में SC/ST सेल ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। इस बैठक का मकसद कॉलेजों में SC/ST सेल की भूमिका को मजबूत करना था। BDU के वीसी समिति के सदस्य वी राजेश कन्नन ने बैठक को संबोधित किया। इसमें BDU, अन्ना यूनिवर्सिटी, मदुरै कामराज यूनिवर्सिटी और मनोनमनियम सुंदरनार यूनिवर्सिटी के अधिकारी, प्रोफेसर और कॉलेजों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में मौजूद लोगों ने बताया कि कॉलेजों में SC/ST सेल के कामकाज में कई कमियां हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों में गैर-शिक्षण पदों पर SC/ST रोस्टर नियमों का पालन नहीं हो रहा है। साथ ही, छात्रों की राय को भी इसमें शामिल करने की जरूरत है। BDU से जुड़े एक कॉलेज के प्रतिनिधि ने कहा, "ज्यादातर संबद्ध कॉलेजों में SC/ST सेल ठीक से काम नहीं करता है। यह केवल NAAC निरीक्षण के दौरान सक्रिय होता है और बाकी समय निष्क्रिय रहता है।"
एक BDU प्रोफेसर ने इस बात पर चिंता जताई कि विश्वविद्यालय 2007 से गैर-शिक्षण पदों पर SC/ST रोस्टर प्रणाली का पालन नहीं कर रहा है। एक विश्वविद्यालय सूत्र ने बताया, "हमने कई वीसी से इस बारे में बात की है, लेकिन कुछ भी नहीं बदला है।" बैठक में शामिल लोगों ने विश्वविद्यालयों में SC/ST सेल में छात्रों का प्रतिनिधित्व भी मांगा। अन्ना यूनिवर्सिटी के SC/ST सेल के नोडल अधिकारी ओ उमा महेश्वरी ने कहा कि इन सुझावों को दर्ज कर लिया गया है और सरकार को सौंपने के लिए एक मसौदा तैयार किया जाएगा।

यह बैठक इस बात पर जोर देती है कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में SC/ST समुदाय के अधिकारों और अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए SC/ST सेल को सक्रिय और प्रभावी बनाना कितना जरूरी है। NAAC (National Assessment and Accreditation Council) एक ऐसी संस्था है जो कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करती है। रोस्टर प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी नौकरियों में विभिन्न समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व मिले।

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