अखिलेश यादव का आरोप: चुनावी सूची में धांधली, संसद में उठाएंगे मुद्दा

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समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने चुनावी नामावली में धांधली का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा एक निजी कंपनी की मदद से मतदाताओं की जानकारी जुटा रही है, जो गुप्त मतदान के सिद्धांत के खिलाफ है। इस मुद्दे को संसद में उठाया जाएगा। यदि समाधान नहीं हुआ तो पार्टी सड़कों पर उतरेगी।

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लखनऊ: समाजवादी पार्टी (SP) के मुखिया अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि पार्टी चुनावी नामावली ( electoral rolls ) के विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision - SIR) में हो रही धांधली के मुद्दे पर विपक्षी सहयोगियों से बात करेगी और इसे संसद में उठाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर संसद में उनकी चिंताओं का समाधान नहीं हुआ, तो पार्टी सड़कों पर उतरकर संविधान में दिए गए वोट देने के अधिकार को खत्म करने के 'साजिशी' प्रयास के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी। संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा। हर सत्र से पहले होने वाली सर्वदलीय बैठक रविवार को होगी।

अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा ने नोएडा की एक कंपनी को काम पर रखा है, जो उन्हें चुनावी नामावली सभी फॉर्मेट में दे रही है ताकि वे खास मतदाताओं को ढूंढ सकें। उन्होंने कहा कि इस कंपनी को यह जानकारी भी दी जा रही है कि कौन सा मतदाता किस उम्मीदवार को वोट देगा। उन्होंने इसे भारतीय चुनाव के मूल सिद्धांत - गुप्त मतदान ( secret ballot ) का उल्लंघन बताया। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी के घोसी सांसद राजीव राय के एक पत्र का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि घोसी संसदीय सीट के तहत आने वाले हर विधानसभा क्षेत्र से 20,000 मतदाताओं के नाम चुनावी नामावली से हटाए जाने की पुख्ता खबरें हैं। अखिलेश ने कहा, "समस्या यह है कि हम हर दिन चुनाव आयोग को विस्तृत लिखित ज्ञापन और शिकायतें भेज रहे हैं, लेकिन कोई भी उन पर ध्यान नहीं दे रहा है। हमारे पास संसद में मुद्दा उठाने या विरोध प्रदर्शन करने के अलावा ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं।"
दिवंगत बीएलओ के परिवार को 2 लाख रुपये का चेक: अखिलेश यादव ने बीएलओ (BLO) विजय वर्मा के परिवार को 2 लाख रुपये का चेक सौंपा। विजय वर्मा की 21 नवंबर को मालियाबाद इलाके में ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई थी। आरोप है कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा SIR से जुड़े काम को पूरा करने के लिए दबाव बनाने के कारण उनकी तबीयत बिगड़ी थी। वर्मा की पत्नी संगीता, जो अपने 20 साल के बेटे हर्षित के साथ थीं, अखिलेश के सामने रो पड़ीं और उन्होंने अपने पति की 'व्यथा' सुनाई। वर्मा एक सहायक शिक्षक थे जिन्हें SIR ड्यूटी पर लगाया गया था।

SIR पर जल्दबाजी क्यों: अखिलेश ने भाजपा और चुनाव आयोग (ECI) द्वारा उत्तर प्रदेश में SIR को जल्दबाजी में पूरा करने पर सवाल उठाए। अखिलेश ने कहा, "भाजपा SIR अभ्यास को लेकर इतनी जल्दी में क्यों है? चुनाव आयोग और भाजपा इस मामले में मिले हुए हैं।" पिछले हफ्ते अखिलेश ने दोहराया था कि उत्तर प्रदेश में देश में सबसे ज्यादा मतदाता हैं, इसलिए बीएलओ को SIR पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि शादी का मौसम चल रहा है, इसलिए लोग शादी-विवाह की तैयारियों में व्यस्त हैं और समय पर SIR का काम नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने यूपी में SIR की समय सीमा कम से कम 3 महीने बढ़ाने की मांग की थी।

चुनावी नामावली में गड़बड़ी का आरोप: अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी विपक्षी दलों के साथ मिलकर चुनावी नामावली में हो रही गड़बड़ियों पर चर्चा करेगी। उन्होंने कहा कि अगर संसद में उनकी बात नहीं सुनी गई तो वे सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा एक निजी कंपनी की मदद से मतदाताओं की जानकारी जुटा रही है, जो गुप्त मतदान के सिद्धांत के खिलाफ है।

घोसी सांसद की चिंता: घोसी के सांसद राजीव राय ने चिंता जताई है कि उनके संसदीय क्षेत्र में हर विधानसभा सीट से 20,000 मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं। यह एक गंभीर आरोप है जो चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।

चुनाव आयोग पर सवाल: अखिलेश यादव ने कहा कि वे लगातार चुनाव आयोग को शिकायतें भेज रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इससे ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग और सत्ताधारी दल के बीच मिलीभगत है।

बीएलओ की मौत पर दुख: अखिलेश यादव ने बीएलओ विजय वर्मा के परिवार को आर्थिक मदद दी। वर्मा की मौत को SIR के काम के दबाव से जोड़ा गया है, जो सरकारी कर्मचारियों पर काम के बोझ और उसके परिणामों को उजागर करता है।

SIR की समय सीमा पर सवाल: अखिलेश यादव ने SIR को जल्दबाजी में पूरा करने पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि शादी-ब्याह के मौसम में लोगों के पास समय नहीं है और इसलिए समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। यह आम लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखने की मांग है।

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