एलन मस्क की बच्चों की परवरिश पर सलाह: 'स्कूलों में क्या पढ़ाया जाता है, इस पर ध्यान दें'

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एलन मस्क ने बच्चों की परवरिश को प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग से जोड़ा है। उन्होंने माता-पिता को सलाह दी है कि वे स्कूलों में बच्चों को क्या सिखाया जा रहा है, इस पर विशेष ध्यान दें। मस्क, जो 14 बच्चों के पिता हैं, मानते हैं कि शिक्षा बच्चों के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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एलन मस्क, जो 14 बच्चों के पिता हैं, ने हाल ही में बच्चों को पालने को लेकर एक अनोखी बात कही है। उन्होंने कहा कि बच्चों को पालना 18 साल तक 'प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग' जैसा है। प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग का मतलब है किसी AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को सही निर्देश देकर उससे मनचाहा काम करवाना। मस्क का कहना है कि बच्चों को भी धीरे-धीरे सही बातें सिखाना और उन्हें सही दिशा दिखाना एक लंबी और लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। उनकी इस बात पर लोग खूब चर्चा कर रहे हैं।

जब एक पिता बनने वाले व्यक्ति ने मस्क से सलाह मांगी, तो उन्होंने कहा, "अपने बच्चों को स्कूल में क्या सिखाया जा रहा है, इस पर बहुत ध्यान दें।" यह सलाह बहुत मायने रखती है, क्योंकि मस्क टेक्नोलॉजी और भविष्य को आकार देने वाली कंपनियों के मालिक हैं। उनकी यह बात बताती है कि बच्चों की सोच और दुनिया को देखने का नजरिया बनाने में शिक्षा का कितना बड़ा हाथ होता है।
मस्क खुद 14 बच्चों के पिता हैं। उन्होंने कई बार बताया है कि अपने काम और बच्चों की परवरिश के बीच संतुलन बनाना कितना मुश्किल होता है। बच्चों को सही मार्गदर्शन और सहारा देना, खासकर जब उनका काम बहुत व्यस्तता भरा हो, एक बड़ी चुनौती है। उनके अपने अनुभव उनकी सलाह को और भी खास बनाते हैं, खासकर शिक्षा के मामले में सतर्क रहने की उनकी बात।

आज के समय में यह सलाह बहुत जरूरी है। आजकल स्कूल, समाज और टेक्नोलॉजी बच्चों के दिमाग पर गहरा असर डालते हैं। ऐसे में, माता-पिता की यह जिम्मेदारी है कि वे देखें कि उनके बच्चे क्या सीख रहे हैं। स्कूल सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि वे सामाजिक नियम, नैतिकता और दुनिया को देखने का नजरिया भी सिखाते हैं, जो बच्चे के भविष्य पर लंबे समय तक असर डाल सकता है।

मस्क की यह सलाह, "अपने बच्चों को स्कूल में क्या सिखाया जा रहा है, इस पर बहुत ध्यान दें," माता-पिता को सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करती है। इसका मतलब है कि माता-पिता को ऐसे स्कूल और तरीके खोजने चाहिए जो बच्चों में सोचने-समझने की क्षमता, रचनात्मकता और भावनात्मक समझ को बढ़ावा दें। यह सिर्फ एक ही तरीके के सिलेबस को फॉलो करने से कहीं ज्यादा है।

यह बात इस बड़े विचार से भी जुड़ती है कि बच्चों को पालना एक लंबी और सोची-समझी कोशिश है। इसमें लगभग 20 साल तक लगातार ध्यान देना, सही राह दिखाना और सहारा देना शामिल है। मस्क की यह बात उन सभी माता-पिता के लिए है जो अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं और उन्हें बेहतर इंसान बनाना चाहते हैं। वे यह भी बताते हैं कि बच्चों को सिर्फ स्कूल पर ही नहीं छोड़ देना चाहिए, बल्कि घर पर भी उन्हें सही संस्कार और ज्ञान देना जरूरी है।

बच्चों को पालना एक कला है, जिसमें धैर्य और समझदारी की जरूरत होती है। मस्क का यह अनुभव बताता है कि कैसे एक सफल व्यक्ति भी बच्चों की परवरिश को एक बड़ी चुनौती मानता है। उनकी सलाह हमें याद दिलाती है कि बच्चों का भविष्य हमारे हाथों में है और हमें उनकी शिक्षा और परवरिश में पूरी तरह से शामिल होना चाहिए।

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