ठाणे में वायु प्रदूषण बढ़ा: AQI 217 पार, स्वास्थ्य जोखिम की चेतावनी

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ठाणे की हवा बेहद खराब हो गई है। एयर क्वालिटी इंडेक्स 217 पार कर गया है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। निर्माण कार्य, गाड़ियों का धुआं और कचरा जलाना इसके मुख्य कारण हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों ने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स, ट्रैफिक और पेड़ों की कटाई को भी जिम्मेदार ठहराया है।

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ठाणे में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। गुरुवार को यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 217 दर्ज किया गया, जो इस साल का तीसरा सबसे खराब आंकड़ा है। पिछले 10 महीनों में ऐसा पहली बार हुआ है जब AQI 200 के पार गया है। 200 से ऊपर का AQI 'खराब' माना जाता है और यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। इससे पहले जनवरी में कासरवडवली में 221 और उपवन में 219 AQI दर्ज किया गया था।

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) ने बताया कि निर्माण कार्य, गाड़ियों का धुआं और कचरा जलाने जैसी चीजें इस खराब हवा के लिए जिम्मेदार हैं। MPCB ने गुरुवार को AQI बढ़ने की वजहों की जांच करने का वादा किया है। MPCB के चेयरमैन सिद्धेश कदम ने कहा कि वे ठाणे शहर की हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए और मॉनिटरिंग सिस्टम लगाने को तैयार हैं, अगर इसकी मांग होती है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि शहर में चल रहे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स, भारी ट्रैफिक से निकलने वाला धुआं और पेड़ों की कटाई हवा की गुणवत्ता को बिगाड़ रही है। खासकर, घोड़बंदर हाईवे पर मेट्रो और हाईवे चौड़ीकरण का काम, और उपवन के पास ठाणे-बोरीवली सुरंग का निर्माण और पोखरण रोड पर भारी ट्रैफिक हवा को प्रदूषित कर रहे हैं।

iFOREST नाम की एक संस्था की हालिया स्टडी में भी यह बात सामने आई है कि हवा में PM2.5 और PM10 का स्तर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के सर्दियों के मानकों से ज्यादा है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने एक वेबिनार में बताया कि ठाणे की समुद्री लोकेशन आधी प्रदूषण को तो फैला देती है, लेकिन कचरा प्रबंधन और रीसाइक्लिंग की कमी की वजह से प्लास्टिक और दूसरे कचरे को जलाया जा रहा है, जिससे हवा और खराब हो रही है।

कार्यकर्ता चिनू खत्रा और रोहित जोशी ने कहा, "शहर में चल रहे निर्माण कार्य, ट्रैफिक में फंसी गाड़ियों से निकलने वाला धुआं और कचरा प्रबंधन की कमी के कारण कचरा जलाने से हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है। रीसाइक्लिंग की सुविधाओं की कमी के चलते प्लास्टिक और अन्य कचरा जलाया जाता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है।"

डॉक्टरों ने तुरंत सेहत पर पड़ने वाले खतरों के बारे में आगाह किया है। घोड़बंदर के डॉक्टर आलोक मोदी ने बताया कि उनके पास सांस की बीमारियों वाले मरीजों की संख्या 5-10% बढ़ गई है। ट्रैफिक डीसीपी पंकज शिरसाट ने लोगों से निजी गाड़ियों का इस्तेमाल कम करने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने की अपील की है। डॉक्टर मोदी ने चेतावनी दी, "खराब हवा की स्थिति से सांस लेने में दिक्कत वाले लोगों को खतरा है। खासकर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे लोगों को घोड़बंदर हाईवे जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में लगातार प्रदूषण के संपर्क में आने से खांसी, सांस फूलना और अस्थमा बढ़ सकता है।"

शिवसेना (यूबीटी) के नेता नरेश मनेरा ने शहर में हरियाली की अंधाधुंध कटाई को प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा, "पहले घोड़बंदर हाईवे और शहर के कई हिस्सों में घने पेड़ थे जो प्रदूषण को सोख लेते थे, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर के काम के लिए उन्हें काट दिया गया, जिससे हवा की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ा।"

वहीं, ठाणे नगर निगम (TMC) की मुख्य पर्यावरण अधिकारी मनीषा प्रधान ने माना कि निर्माण कार्य और गाड़ियों का धुआं प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों से हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। उन्होंने बताया, "हमने 123 ई-बसें चलानी शुरू कर दी हैं और जल्द ही 303 और बसें आएंगी। कई श्मशान घाटों ने लकड़ी की जगह गैस का इस्तेमाल शुरू कर दिया है और बेकरी भी लकड़ी के बजाय गैस ओवन अपना रही हैं। हम एक शहर-स्तरीय समन्वय समिति बना रहे हैं ताकि सभी विभाग मिलकर स्वच्छ हवा के लिए काम कर सकें।"

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