संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक: एजेंडा में ये प्रमुख मुद्दे

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संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक हुई। इसमें विपक्ष ने चुनावी रोल की गहन समीक्षा, दिल्ली blast और विदेश नीति जैसे अहम मुद्दे उठाए। यह बैठक सत्र के सुचारू संचालन के लिए आयोजित की गई थी। सत्र सोमवार से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा। विपक्ष ने सत्र को संक्षिप्त बताया है।

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संसद के शीतकालीन सत्र से पहले रविवार को सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने चुनावी रोल की विशेष गहन समीक्षा, दिल्ली blast और विदेश नीति जैसे कई मुद्दों को उठाया। यह बैठक सोमवार से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए आयोजित की गई थी। सत्र 19 दिसंबर तक चलेगा और इसमें कुल 15 बैठकें होंगी, जिसे विपक्ष ने "संक्षिप्त सत्र" बताया है।

सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और उनके उप अर्जुन राम मेघवाल ने बैठक में भाग लिया। वहीं, विपक्ष की ओर से कांग्रेस के जयराम रमेश, गौरव गोगोई, प्रमोद तिवारी, डीएमके के टीआर बालू, टीएमसी के डेरेक ओ'ब्रायन और आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर मौजूद रहे। भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा, जो भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा में सदन के नेता भी हैं, ने शिरकत की। आरजेडी के मनोज झा, SAD की हरसिमरत कौर और जद(यू) के संजय झा भी बैठक में शामिल हुए।
यह बैठक संसद के दोनों सदनों के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए एक परंपरा का हिस्सा है। इस सत्र में कई नए विधेयक पेश किए जाने की योजना है। विपक्ष ने इस सत्र को "संक्षिप्त सत्र" करार दिया है, क्योंकि आमतौर पर संसद सत्रों में 20 बैठकें होती हैं।

विपक्ष ने सरकार के सामने कई महत्वपूर्ण मुद्दे रखे। इनमें चुनावी रोल की विशेष गहन समीक्षा का मुद्दा शामिल है। यह मुद्दा मतदाताओं की सूची को और बेहतर बनाने से जुड़ा है। इसके अलावा, दिल्ली में हुए blast की घटना पर भी चर्चा हुई। विदेश नीति से जुड़े मामलों को भी विपक्ष ने दोनों सदनों में उठाने की बात कही है।

यह सर्वदलीय बैठक संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ठीक पहले आयोजित की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सत्र के दौरान किसी भी तरह की बाधा को दूर कर कामकाज को सुचारू बनाना है। सत्र सोमवार को शुरू होगा और 19 दिसंबर को समाप्त होगा। इस बार सत्र में कुल 15 बैठकें होंगी। विपक्ष ने सत्र की अवधि को लेकर चिंता जताई है और इसे "संक्षिप्त सत्र" कहा है। सामान्यतः संसद सत्रों में 20 बैठकें होती हैं।

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