सूर्या ने सोशल मीडिया पर अपने पिता के लिए गर्व व्यक्त करते हुए लिखा, "यह हमारे लिए बड़े सम्मान की बात है कि मेरे पिता, जो एक गांव से आए और अनुशासन और कड़ी मेहनत से आगे बढ़े, उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि मिल रही है।" उन्होंने बताया कि शिवकुमार की एक चित्रकार के रूप में शुरुआत से लेकर अभिनय, कला और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी पहचान तक की यात्रा उनके लिए एक प्रेरणा रही। सूर्या ने कहा, "यह सिर्फ उनकी उपलब्धियां नहीं थीं, बल्कि उनके जीवन के मूल्य थे जिन्होंने मेरी सोच और मानवता को आकार दिया। 'शिवकुमार का बेटा' होना मेरे जीवन की सबसे बड़ी पहचान है।"शिवकुमार दशकों से समाज सेवा में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने श्री शिवकुमार एजुकेशनल ट्रस्ट की स्थापना की थी। इसी राह पर चलते हुए, सूर्या की अगराम फाउंडेशन और कार्ति की उझावन फाउंडेशन भी उनके सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ा रही हैं। सूर्या ने कहा कि यह बिल्कुल सही है कि शिवकुमार, जिन्होंने कला, शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में लगातार काम किया है, उन्हें तमिलनाडु म्यूजिक एंड आर्ट्स यूनिवर्सिटी द्वारा सम्मानित किया गया है।
सूर्या ने चित्रकार चंदुरु (गुरुस्वामी चंद्रशेखरन) को मिले सम्मान पर भी खुशी जताई। उन्होंने कहा कि इन दोनों कलाकारों को मिला सम्मान तमिल समुदाय के प्रभाव को और बढ़ाएगा। उन्होंने पूरे परिवार की ओर से तमिलनाडु सरकार और विशेष रूप से मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को इस पुरस्कार के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। सूर्या का यह भावनात्मक पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रहा है।
यह सम्मान शिवकुमार के बहुआयामी योगदान को दर्शाता है। उन्होंने न केवल अभिनय से दर्शकों का दिल जीता, बल्कि शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में भी अमूल्य योगदान दिया। उनकी सादगी और मेहनत की कहानी आज भी कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। तमिलनाडु सरकार का यह कदम ऐसे महान कलाकारों को सम्मानित करने की एक अच्छी पहल है, जो समाज के लिए मिसाल बनते हैं।
सूर्या ने अपने पिता की यात्रा को 'मास्टर क्लास' कहकर संबोधित किया, जो उनके जीवन के संघर्षों और सफलताओं का एक सटीक वर्णन है। एक गांव से आकर, बिना किसी सहारे के, अपनी मेहनत और लगन से कला और शिक्षा के क्षेत्र में एक मुकाम हासिल करना आसान नहीं होता। शिवकुमार ने यह साबित कर दिखाया।
यह सम्मान सिर्फ शिवकुमार के लिए ही नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार के लिए गर्व का क्षण है। सूर्या और कार्ति जैसे सफल कलाकारों के लिए अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाना एक बड़ी जिम्मेदारी है, जिसे वे बखूबी निभा रहे हैं। यह दिखाता है कि अच्छे संस्कार और सामाजिक सरोकार परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होते हैं।

