शेख चिल्ली अपनी सासू मां के घर गए थे, जहाँ उन्हें पहली बार मल्टीग्रेन खिचड़ी खाने को मिली। यह खिचड़ी उन्हें इतनी पसंद आई कि उन्होंने घर जाकर इसे बनवाने का फैसला किया। जब उन्होंने अपनी सासू मां से खिचड़ी का नाम पूछा, तो उन्होंने बस 'खिचड़ी' बताया। बस यहीं से शुरू हुआ सारा किस्सा।शेख चिल्ली घर लौटते समय 'खिचड़ी-खिचड़ी' का रट लगाए हुए थे। लेकिन कुछ देर बाद उनका ताल बिगड़ गया और वे 'खींचड़ी-खींचड़ी' बोलने लगे। संयोगवश, वे एयरपोर्ट के पास से गुजर रहे थे, जहाँ फ्लाइट कैंसल होने की वजह से सैकड़ों लोग अपने सूटकेस खींचते हुए परेशान थे। शेख चिल्ली की 'खींचड़ी-खींचड़ी' की आवाज़ सुनकर भीड़ भड़क गई और उन्होंने कायदे से उनकी ठुकाई कर दी। गुस्से में भीड़ का लीडर चिल्लाया, "बोल, उड़ चिड़ी, उड़ चिड़ी।" उसका कहना था कि भले ही फ्लाइट न उड़े, लेकिन सुनने में तो अच्छा लगे।
शेख चिल्ली 'उड़ चिड़ी, उड़ चिड़ी' बोलते हुए आगे बढ़ गए। रास्ते में एक चौराहे पर RTO साहब की जीप खड़ी थी। वे ओवरलोडिंग पर नज़र रखे हुए थे और मौरंग भरी गाड़ियों की खेप आने का इंतज़ार कर रहे थे। वे सोच रहे थे कि कब जाल में चिड़िया फंसे। तभी शेख चिल्ली की 'उड़ चिड़ी, उड़ी चिड़ी' की आवाज़ सुनकर वे इतना इरिटेट हो गए कि उन्होंने चपरासी से बुलवाकर शेख चिल्ली को चार झापड़ लगवा दिए। उन्होंने आदेश दिया कि अब तुम बोलो, "चलते आओ फंस-फंस जाओ।"
शेख चिल्ली ने हुक्म माना और 'चलते आओ फंस-फंस जाओ' का नारा लगाते हुए एक स्कूल के पास से निकले। वहाँ एक हताश और परेशान BLO (Booth Level Officer) ड्यूटी में फंसा हुआ था। उसने पहले तो शेख चिल्ली को कूटा, फिर उसे रटवाया कि बोलो, "ले-ले जाओ, भर-भर लाओ। SIR का फॉर्म ले-ले जाओ और भरकर ले आओ।"
अपनी बची-खुची ताकत समेटकर शेख चिल्ली 'ले-ले जाओ, भर-भर लाओ' का नारा लगाते हुए आगे बढ़े। शाम के अंधेरे में, एक पार्क में एक ताऊ कपालभाति कर रहे थे। शेख चिल्ली ने गलती से उनके पैर कुचल दिए। ताऊ ने गुस्से में शेख चिल्ली पर लट्ठ बरसाया और कहा, "AQI हो रॉ 440, क्या तो सांस भरू क्या लिकाडूं।" इस मार-पीट के बाद शेख चिल्ली कोने में खड़े होकर बुदबुदाने लगे। ताऊ ने गरजकर पूछा, "क्या खिचड़ी सी पका रॉ।" यह सुनकर रोते हुए शेख चिल्ली को हंसी आ गई। उन्हें याद आया कि उनकी कुटाई तो हुई, पर यह याद आ गया कि उनकी सासू मां ने उन्हें असल में 'खिचड़ी' ही खिलाई थी।

