रेलवे पार्सल सेवा में बड़े बदलाव: अब कोई भी बन सकता है एग्रीगेटर, टर्नओवर की शर्त खत्म

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रेलवे पार्सल सेवा में बड़े बदलाव हुए हैं। अब कोई भी एग्रीगेटर बन सकता है, टर्नओवर की शर्त हटा दी गई है। इससे छोटे व्यापारी और आम लोग भी रेलवे की पार्सल सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे। यह कदम रेलवे के पार्सल कारोबार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा भी उपलब्ध है।

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भारतीय रेलवे ने अपने पार्सल सेवा नियमों को आसान बना दिया है, जिससे पार्सल स्पेस किराए पर लेने और एग्रीगेटर के तौर पर रजिस्टर करने में ज़्यादा लोगों को मौका मिलेगा। शुक्रवार को जारी एक सर्कुलर के तहत, पार्सल कार्गो एक्सप्रेस ट्रेनों को लीज पर लेने के लिए टेंडर में भाग लेने वालों के लिए 10 करोड़ रुपये के सालाना न्यूनतम नेट टर्नओवर की शर्त हटा दी गई है। इसी तरह, पार्सल को एग्रीगेट करने के लिए ज़रूरी 50 लाख रुपये के सालाना न्यूनतम नेट टर्नओवर की ज़रूरत को भी खत्म कर दिया गया है।

रेलवे का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर पर पार्सल स्पेस के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए उठाया गया है। सर्कुलर में कहा गया है कि "इस बिज़नेस में ज़्यादा एग्रीगेटर्स को आकर्षित करने की ज़रूरत है," और यह भी बताया गया है कि एग्रीगेटर्स वैल्यू चेन में अहम भूमिका निभाते हैं। शुक्रवार के सर्कुलर ने फ्रेट फॉरवर्डर्स या ट्रांसपोर्टर्स के लिए एग्रीगेटर के तौर पर पैनल में शामिल होने के लिए लगने वाली 20,000 रुपये की फीस को भी आधा कर दिया है।
इन आसान वित्तीय शर्तों से इस बिज़नेस में ज़्यादा लोगों के आने की उम्मीद है, जिस पर भारतीय रेलवे अपना ध्यान बढ़ा रहा है। इसी साल अक्टूबर में, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मुंबई-कोलकाता रूट पर डोर-टू-डोर पार्सल सेवा की शुरुआत की थी। सरकारी अनुमानों के मुताबिक, रेलवे के ज़रिए मुंबई-कोलकाता डोर-टू-डोर पार्सल सेवा से सड़क परिवहन की तुलना में लागत में करीब 7.5% और समय में लगभग 30% की बचत होगी।

रेलवे के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CONCOR) को बिज़नेस एसोसिएट्स को जोड़कर लास्ट-माइल डिलीवरी सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है। बयान में यह भी कहा गया है कि ग्राहक ऑनलाइन पार्सल बुक कर सकते हैं। रेल मंत्री वैष्णव ने कहा था, "पार्सल सेवा का लाभ खुदरा उपभोक्ता भी उठा सकते हैं।" उन्होंने बताया कि रेलवे अब तक ज़्यादातर थोक सामान पर ध्यान केंद्रित कर रहा था, लेकिन हाल ही में मांग को एकत्रित करके पार्सल सामान की कंटेनरीकृत आवाजाही बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

यह बदलाव दिखाता है कि रेलवे अब सिर्फ बड़े व्यापारियों के लिए नहीं, बल्कि आम लोगों के लिए भी अपनी पार्सल सेवाओं को सुलभ बना रहा है। पहले जो बड़ी कंपनियां ही इन सेवाओं का लाभ उठा पाती थीं, अब छोटे व्यापारी और यहां तक कि आम लोग भी इसका फायदा उठा सकेंगे। इससे न केवल रेलवे की आय बढ़ेगी, बल्कि लोगों को भी तेज़ और किफ़ायती पार्सल सेवा मिलेगी।

यह नई व्यवस्था पार्सल सेवाओं को एक नया रूप देगी। पहले जहां बड़ी कंपनियों को ही इन सेवाओं का लाभ मिलता था, वहीं अब छोटे व्यापारी और आम लोग भी इसका फायदा उठा सकेंगे। इससे रेलवे के पार्सल कारोबार को नई ऊंचाइयों पर पहुंचने में मदद मिलेगी।

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