दस साल प्रफेसरशिप वाले ही बनेंगे वाइस चांसलर!

नवभारत टाइम्स
Subscribe

उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर बनने के लिए अब दस साल की प्रोफेसरशिप अनिवार्य हो सकती है। लखनऊ विश्वविद्यालय टीचर्स एसोसिएशन ने राज्यपाल से यूजीसी के इस नियम को लागू करने की मांग की है। राज्यपाल ने उच्च शिक्षा विभाग को इस पर कार्रवाई के लिए लिखा है।

only those with ten years of professorship will become vice chancellors governor instructs higher education department
लखनऊ: प्रदेश के विश्वविद्यालयों में अब वाइस चांसलर (वीसी) बनने के लिए प्रोफेसर के तौर पर दस साल का अनुभव जरूरी हो सकता है। लखनऊ विश्वविद्यालय टीचर्स असोसिएशन (एलयूटीए) की मांग पर राज्यपाल ने इस मामले में संज्ञान लिया है और उच्च शिक्षा विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यह बदलाव विश्वविद्यालयों के अधिनियम में किया जा सकता है, जिससे कम अनुभव वाले वीसी की दौड़ से बाहर हो जाएंगे।

एलयूटीए के उपाध्यक्ष अरशद जाफरी ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा कि यूजीसी के नियमों के अनुसार वीसी बनने के लिए प्रोफेसर के तौर पर दस साल का अनुभव अनिवार्य है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक ऐसे मामले का भी जिक्र किया, जिसमें एक राज्य के वीसी को इसी आधार पर पद से हटाया गया था। वर्तमान में प्रदेश के विश्वविद्यालय अधिनियम में यह शर्त नहीं है। राज्यपाल के निर्देश के बाद, यदि उच्च शिक्षा विभाग इस पर कार्रवाई करता है, तो अधिनियम में इस महत्वपूर्ण नियम को जोड़ा जा सकता है।
प्रोफेसर अरशद जाफरी ने इस बात पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक मिसाल है। उन्होंने कहा, "अब यूजीसी के नियम का पालन होगा तभी विश्वविद्यालयों में योग्य कुलपतियों की तैनाती हो सकेगी।" उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि वर्तमान में चल रही लखनऊ विश्वविद्यालय वीसी चयन प्रक्रिया में भी इस नियम का ध्यान रखा जाएगा।

यह बदलाव विश्वविद्यालयों में योग्य नेतृत्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। प्रोफेसर के तौर पर दस साल का अनुभव वीसी को शैक्षणिक और प्रशासनिक मामलों की गहरी समझ प्रदान करेगा, जिससे वे विश्वविद्यालयों के विकास में बेहतर योगदान दे सकेंगे। यह कदम विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता और प्रतिष्ठा को बढ़ाने में सहायक होगा।

अगला लेख

Storiesकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर